खेत को साफ करने के लिए किसान फसल अवशेष न जलाएं, इसके लिए सरकार व कृषि विभाग प्रयासरत है। फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़े कृषि यंत्रों पर जहां सरकार सब्सिडी दे रही। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारी भी गांव-गांव जागरुकता शिविर लगा कर किसानों को जागरूक करते हैं। सरकारी स्कूलों में भी जागरुकता कार्यक्रम कराए जाते हैं। इसके बावजूद सरकार व विभाग के इन प्रयासों से कुछ किसान जागरूक नहीं हो पा रहे हैं। गेहूं की फसल कटाई व गन्ना छिलाई के बाद खेतों को साफ करने के लिए किसानों ने फसल के बचे अवशेषों को जलाना शुरू कर दिया है। रात में फसल के अवशेष जलाए जा रहे हैं। खंड कृषि अधिकारी डॉ. राकेश अग्रवाल का कहना है कि फसल अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण फैलने के अलावा भूमि के मित्र कीट भी मर जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े निकाले जाएं तो धीरे-धीरे किसान इस बात को समझ भी रहे कि फसल जलाना उनके लिए नुकसानदायक है, लेकिन कुछ किसान हैं, जो इस बात को समझ नहीं रहे और फसल अवशेष जला रहे हैं। किसान फसल अवशेषों को जलाने की बजाए कृषि यंत्रों के साथ उन्हें जमीन में मिलाएं, ऐसा करने से जहां वातावरण प्रदूषित होने से बचेगा। वहीं, फसल की पैदावार भी बढ़ेगी।