अपनी बेटी से सात साल तक दुष्कर्म करने के दोषी की उम्रकैद की सजा के खिलाफ अपील को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। सजा कम करने की अपील पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने याची पर किसी भी प्रकार के रहम से इनकार दिया है। याचिका दाखिल करते हुए फरीदाबाद निवासी व्यक्ति ने बताया कि उसकी 14 साल की बेटी की शिकायत पर पुलिस ने उस पर 14 अक्तूबर 2012 को एफआईआर दर्ज की थी।
याची ने बताया कि उसकी बेटी ने शिकायत में कहा कि याची उससे तब से दुष्कर्म कर रहा है जब वह सात साल की थी। 12 अक्तूबर 2012 को भी याची ने उससे दुष्कर्म किया था। इस बारे में उसने अपनी दोस्त की मां को बताया जिसके बाद यह शिकायत दी गई। याची ने कहा कि वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ एक कमरे के मकान में रहता था। ऐसे में कैसे बेटी से दुष्कर्म कर सकता था।
याची की पत्नी ने भी याची के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि उसकी बेटी ने कभी उसे इस बारे में नहीं बताया। याची ने कहा कि उसकी बेटी की दोस्त का परिवार अवैध गतिविधियों में शामिल था और याची लगातार अपनी बेटी को उनसे दूरी बनाने के लिए कहता था। ऐसे में याची की बेटी की दोस्त की मां ने साजिशन यह झूठी एफआईआर दर्ज करवाई है।
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि याची की बेटी के पास ऐसी कोई वजह नहीं थी कि वह इस प्रकार दुष्कर्म का आरोप पिता पर लगाए। वैसे भी कोई ऐसी लड़की नहीं होगी जो किसी पर भी इस प्रकार का आरोप लगातार अपनी और अपने परिवार की इज्जत को दांव पर लगाए। इसके साथ ही डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुष्कर्म की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में हाईकोर्ट ने फरीदाबाद जिला अदालत के फैसले को सही करार देते हुए उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा और अपील को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मासूम से यौन-अपराध का दोषी किसी भी सूरत में रहम का अधिकारी नहीं हैं और वो भी ऐसा दोषी जो अपनी ही बच्ची के साथ यौन अपराध का दोषी है।