करीब डेढ़ वर्ष पहले कंक्रीट की बनी रादौर-जठलाना सड़क टूटने लगी है। सड़क के जॉइंट खुलने के साथ-साथ दरारें पड़ चुकी हैं। खनन सामग्री से भरे वाहनों का हवाला देकर मजबूती के लिए इस सड़क पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च की गई थी। क्षेत्र निवासी राम मेहर व एमएस सिंह का कहना है कि एक तो सड़क में प्रयोग की गई निर्माण सामग्री की गुणवत्ता से समझौता हुआ। वहीं, दूसरा इस सड़क से गुजर रहे खनन सामग्री से भरे ओवरलोड वाहन भी है।
जसविंद्र, ऋषिपाल, राजीव, अमरदीप, सतपाल, सुधीर, नरेंद्र व विकास का कहना है कि जठलाना खनन क्षेत्र है। यहां खनन के सात पॉइंट हैं। खनन के इन पॉइंट से निकलने वाले अधिकतर वाहन रादौर-जठलाना सड़क से ही गुजरते हैं। दिन रात इस सड़क पर खनन सामग्री से भरे वाहनों का दबाव रहता है। मजबूती का हवाला व सड़क लंबे समय तक चल सके इसके लिए करीब 10 किलोमीटर लंबी इस सड़क को कंक्रीट का बनाया गया था। सड़क के नवीनीकरण के दौरान ही सड़क में प्रयोग की जा रही निर्माण सामग्री की गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे थे। लोग विरोध भी कर रहे थे।
लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उसी समय अंदाजा लगा लिया गया था कि यह सड़क लंबे समय तक टिकने वाली नहीं है और जल्द ही टूटने लगेगी। सड़क के जॉइंट खुले चुके हैं। बीच से सड़क टूटने लगी है। बजरी सड़क से बाहर निकल रही है। कई जगह सड़क में दरारें पड़ चुकी हैं। इस बारे पीडब्ल्यूडी के एसडीओ जसमेर का कहना है कि मामला जानकारी में है। जिस-जिस पॉइंट पर जॉइंट खुल रहे हैं व दरारें पड़ रही है, वहां पर तारकोल भरी जाएगी। यह कार्य जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।