अमृतसर ईस्ट से विधानसभा चुनाव हारने वाले पंजाब कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सिद्धू के खिलाफ रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद SC ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सिद्धू का 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर झगड़ा हुआ था। जिसमें एक बुजुर्ग की मौत हो गई। इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1 हजार का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। सिद्धू ने इसके जवाब में अपने क्रिकेट और राजनीति के अच्छे करियर का हवाला देते हुए याचिका रद्द करने की अपील की है
बचाव में सिद्धू यह दिया था तर्क
याचिका के बाद नवजोत सिद्धू ने एफिडेविट दाखिल किया था कि पिछले 3 दशक में उनका राजनीतिक और खेल करियर बेदाग रहा है। राजनेता के तौर पर उन्होंने न सिर्फ अपने विस क्षेत्र अमृतसर ईस्ट बल्कि सांसद के तौर पर बेजोड़ काम किया है। उन्होंने लोगों के भले के लिए कई काम किए हैं। उनसे कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ और उनकी मरने वाले से कोई दुश्मनी भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाए। उन्हें दी गई 1 हजार जुर्माने की सजा पर्याप्त है।
1988 का मामला, हाथापाई में हुई थी बुजुर्ग की मौत
सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 1988 का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया।
लोअर कोर्ट ने किया बरी, हाईकोर्ट ने दी सजा
इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा। सुनवाई के दौरान लोअर कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते 1999 में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले जुर्माना लगाकर छोड़ा
हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का) के मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया गया। इसके लिए उन्हें जेल की सजा नहीं हुई लेकिन एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया
पीड़ित परिवार की SC से मांग
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ अब मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। उनकी मांग है कि हाईकोर्ट की तरह सिद्धू को 304IPC के तहत सजा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया।