प्राइवेट एयरलाइंस पैसे बचाने के लिए विमान में चढ़ने और उतरने के लिए एयरोब्रिज का इस्तेमाल नहीं करने का ऑप्शन चुन रही हैं। जिसकी वजह से बुजर्गों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है और उन्हें सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है। जिसे लेकर एक संसदीय ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें समिति ने प्राइवेट एयरलाइंस के इस उदासीन और अनुचित रवैये की निंदा की है। साथ ही प्राइवेट एयरलाइन के इस तरह के नियम बनाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा दंडित किया जाने की मांग की है।
एयरोब्रिज होने के बावजूद एयरलाइंस कंपनियां इस्तेमाल नहीं
एरोब्रिज एक चलने वाली टनल है जो पैसेंजर के बोर्डिंग या डिबोर्डिंग के लिए हवाई अड्डे की बिल्डिंग से विमान तक फैली हुई होती है। एयरोब्रिज का इस्तेमाल करने के लिए एयरलाइंस को हवाई अड्डे पर एक फिक्स चार्ज देना पड़ता है। ट्रांसपोर्ट, टूरिज्म और कल्चर पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा में पेश की, जिसमें कहा गया है कि कुछ हवाई अड्डों में एयरोब्रिज होने के बावजूद, एयरलाइंस पैसेंजर्स को बोर्डिंग और डिबोर्डिंग के लिए इस्तेमाल नहीं कर रही है और इसके बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल कर रही है।
बयान में कहा गया है कि पैसेंजर्स से चार्ज वसूलने के बावजूद प्राइवेट विमानन कंपनियां ऑपरेशनल कॉस्ट कम करने के लिए एयरोब्रिज फैसिलिटी का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। जिसकी वजह से पैसेंजर्स, खासतौर से बुजुर्ग को एयरलाइन में चढ़ने के लिए पार्किंग स्टैंड की सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है।
हवाईअड्डे में एयरोब्रिज होने पर इसका इस्तेमाल करना जरूरी
समिति प्राइवेट एयरलाइंस के इस उदासीन और अनुचित रवैये की निंदा करती है और सिफारिश करती है कि इस विषय पर उसके सर्कुलर को सख्ती से लागू किया जाए। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 2018 में सभी भारतीय हवाईअड्डा ऑपरेटरों को एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि यदि पैसेंजर्स के बोर्डिंग और डिबोर्डिंग के लिए हवाईअड्डे में एक एयरोब्रिज है, तो इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
समिति ने सोमवार को सिफारिश की कि मंत्रालय को अपने सर्कुलर को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए और यदि कोई चूक होती है तो उस प्राइवेट एयरलाइंस को दंडित किया जाना चाहिए।