कोरोना संकट से उबरने की कोशिश में लगी विमान कंपनियों को ईंधन (एटीएफ) की रिकॉर्ड कीमतों ने जोर का झटका दिया है। बुधवार को विमानन ईंधन की कीमतों में 18 फीसदी वृद्धि के बाद अब कंपनियां प्रमुख मार्गों पर किराया 15 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी में हैं।
इस साल की शुरुआत के बाद विमान ईंधन में छठी बार वृद्धि हुई है जिससे कीमतें 1.10 लाख रुपये प्रति किलोलीटर पहुंच गई हैं। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में हालिया उथल-पुथल के बाद तेल विपणन कंपनियों द्वारा प्रभावित जेट ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण कीमतें पहली बार एक लाख रुपये प्रति किलोलीटर से अधिक हो गईं। दरअसल, इस कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से हर पखवाड़े एटीएफ की कीमतों में इजाफा हुआ है।
1 जनवरी से शुरू होने वाली छह बढ़ोतरी में एटीएफ की कीमतों में 36,643.88 किलोलीटर या लगभग 50% की बढ़ोतरी की गई है। विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि महंगे ईंधन को देखते हुए विमानन कंपनियां नागरिक उड्डयन मंत्रालय से महामारी के समय में सरकार द्वारा लगाए गए हवाई किराए पर कैप बढ़ाने का आग्रह कर सकती हैं, जिसने हवाई किराये पर ऊपरी और निचली सीमा निर्धारित की है।
विमानन कंपनी इंडिगो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रनजॉय दत्ता ने कहा कि विमान ईंधन की कीमतों में वृद्धि ने कंपनी को बुरी तरह प्रभावित किया है। दत्ता ने कहा कि हम एटीएफ को जीएसटी के तहत लाने के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं क्योंकि इससे इनपुट कर क्रेडिट का लाभ मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एटीएफ को जीएसटी में लाने पर विमान कंपनियों के साथ यात्रियों को भी राहत मिलेगी।
एक साल में 86 फीसदी महंगा हुआ एटीएफ
विमान ईंधन की कीमतों में एक साल में 86 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके पहले विमान ईंधन का रिकॉर्ड स्तर अगस्त 2008 में दर्ज किया गया था जब कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल जाने के बाद एटीएफ का दाम 71,028.26 रुपये प्रति किलोलीटर पहुंच गया था। वहीं यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद आपूर्ति बाधित होने की आशंका से अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें इस साल मार्च की शुरुआत में करीब 140 डॉलर प्रति बैरल के 14 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं। जबकि पिछले कुछ दिनों में यह लगभग 100 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है।
ऐसे पड़ेगा यात्रियों पर असर
पिछले पखवाड़े में बेंचमार्क ईंधन के औसत अंतरराष्ट्रीय मूल्य के आधार पर हर महीने की पहली और 16 तारीख को कीमतों में संशोधन किया जाता है। मौजूदा नियम के मुताबिक, एयरलाइंस हर 15 दिनों की बुकिंग के बाद यात्रा के लिए किराए में बढ़ोतरी कर सकती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि उन चुनिंदा रूटों पर जहां मांग में लचीलापन कम है, यात्रा के लिए बुकिंग एक पखवाड़े के बाद किए जाने पर किराया महंगा हो जाएगा। इसका सीधा असर यात्रियों के जेब पर पड़ेगा। विमानन उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-बेंगलुरु, दिल्ली-चेन्नई, दिल्ली-हैदराबाद और दिल्ली-कोलकाता मार्गों पर किराए बढ़ने की उम्मीद है। इन मार्गों में भी, दिल्ली-मुंबई मार्ग पर सबसे तेज वृद्धि की उम्मीद है है। फिलहाल दिल्ली-मुंबई रूट पर किराया 2400-14,000 रुपये के बीच है।
एक माह पहले बुकिंग भी महंगी पड़ेगी
विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि कई साल बाद यह देखने को मिलेगा कि एक माह पहले विमान किराया बुक कराने के बावजूद वह राजधानी जैसी ट्रेन के एसी2 से 30 से 40 फीसदी महंगा होगा। जबकि इसके पहले महज 15 दिन पूर्व टिकट बुक कराने पर विमान किराया राजधानी ट्रेन के एसी2 से 20 से 30 फीसदी सस्ता होता था। विशेषज्ञों का कहना है कि किराया महंगा होने पर विमान कंपनियों को ग्राहक खोने की आशंका भी बढ़ जाएगी। ऐसे में मौजूदा स्थिति को देखते हुए विमान कंपनियों के लिए राह आसान नहीं है।