कंर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल को लेकर अनिल अंबानी की बढ़ सकती है टेंशन! सामने आया एक नया विवाद






कर्ज में फंसी रिलायंस कैपिटल लि. की सहायक कंपनियों में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन और रिलायंस सिक्योरिटीज शामिल हैं।

Reliance capital: कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCL) की लोन समाधान प्रक्रिया को लेकर रिजर्व बैंक की तरफ से नियुक्त प्रशासक (appointed administrator) और लेंडर्स के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि आरसीएल और इसकी सहायक कंपनियों के लोन समाधान के लिए 25 मार्च तक 54 बोलियां मिली थीं। आरसीएल के लिए रुचि पत्र (ईओआई) भेजने का यह अंतिम दिन था।

बोलीकर्ताओं के पास दो विकल्प थे
इनमें से 22 ईओआई आरसीएल के लिए एक कंपनी के तौर पर आए हैं, जबकि बाकी बोलियां इसकी आठ सहायक कंपनियों में से अलग-अलग के लिए लगाई गई हैं। आरसीएल की तरफ से सभी बोलीकर्ताओं के लिए दो विकल्प दिए गए थे। पहले विकल्प में आरसीएल और उसकी सब्सिडियरी के लिए बोली लगाई जा सकती थी जबकि दूसरे विकल्प में सब्सिडियरी कंपनियों के लिए अलग-अलग या जोड़ बनाकर बोली लगाने की सुविधा दी गई थी। आरसीएल की सहायक कंपनियों में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन और रिलायंस सिक्योरिटीज शामिल हैं। हालांकि, बकाया कर्ज की वसूली के लिए दिवाला प्रक्रिया के संचालन को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक और कर्जदाता बैंकों के बीच मतभेद पैदा होने की खबरें हैं।

कहां फंस रहा है मामला?
सूत्रों के मुताबिक, आरसीएल की सहायक कंपनियों और उनकी लोन समाधान प्रक्रिया को लेकर बैंकों के कानूनी सलाहकारों और प्रशासक के बीच सहमित नहीं बन पाई है। सूत्रों के मुताबिक, इस मतभेद की वजह यह है कि आरसीएल की सभी सहायक कंपनियां लाभ में चल रही हैं और उनके पास पूंजी की भी कोई कमी नहीं है। ऐसी स्थिति में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत इन यूनिट्स के लिए कोई समाधान योजना नहीं पेश की जा सकती है। दरअसल, इनमें से कोई भी अनुषंगी किसी दबाव का सामना नहीं कर रही है और उनका कारोबार भी समुचित ढंग से चल रहा है।

सूत्रों का कहना है कि आरसीएल की सहायक कंपनियों की बिक्री के लिए अपनाए जाने वाले तरीके को लेकर सहमति नहीं बन पाने से समाधान योजना को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। तय कार्यक्रम के मुताबिक, पांच अप्रैल तक बोलियां लगाने वाली सभी कंपनियों को समाधान योजना का दस्तावेज दे देना था। लेकिन अभी तक इसकी शर्तों को ही अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

रिजर्व बैंक ने भंग किया था बोर्ड  
सूत्रों के मुताबिक, ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) सिर्फ अनुषंगी कंपनियों के लिए बोली लगाने के मामले में बोलीकर्ताओं का गठजोड़ बनाने के पक्ष में है जबकि प्रशासक गठजोड़ व्यवस्था को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। रिजर्व बैंक ने 29 नवंबर, 2021 को आरएलसी के बोर्ड को भंग कर दिवालिया प्रक्रिया संचालित करने के लिए नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया था।

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