Lithium Ion battery in Electric Scooter । देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है और इस बीच बीते 5 दिनों में ओला, ओकिनावा और प्योर EV जैसी कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की कम से कम चार घटनाएं सामने आई है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। गौरतलब कि Electric Scooter लिथियम-आयन बैटरी से चलते हैं। लिथियम ऑयन बैटरी का उपयोग सेल फोन और स्मार्ट वॉच में भी किया जाता है।
ऐसे काम करती है लिथियम ऑयन बैटरी
ली-आयन बैटरी में एक एनोड, कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट और दो करंट कलेक्टर होते हैं। एनोड और कैथोड वह जगह है जहां लिथियम जमा होता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट पॉजिटिव चार्ज लिथियम आयनों को एनोड से कैथोड तक ले जाता है और इसके विपरीत विभाजक के माध्यम से होता है। लिथियम आयनों की गति एनोड में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का निर्माण करती है, जो सकारात्मक वर्तमान कलेक्टर पर एक चार्ज बनाती है।
अन्य बैटरी से ज्यादा बेहतर होती लिथियम आयन बैटरी
अन्य बैटरी की तुलना में लिथियम ऑयन बैटरी ज्यादा बेहतर होती है। इसकी लाइफ लैड एसिड बैटरी की तुलना में अधिक लंबी होती है। लैड एसिड बैटरी की तुलना में ली-आयन बैटरी आमतौर पर 150 वाट-घंटे प्रति किलोग्राम स्टोर कर सकती है, जो केवल 25 वाट-घंटे प्रति किलोग्राम स्टोर करती है।
आखिर इलेक्ट्रिक स्कूटर में क्यों लगी आग
ओला और ओकिनावा कंपनी के Electric Scooter में आग लगने के वास्तविक कारणों का फिलहाल पता नहीं चल पाया है क्योंकि कंपनियों ने कहा है कि वे मामले की जांच कर रही हैं। हालांकि, ओकिनावा ने कहा कि स्कूटर में आग “वाहन को चार्ज करने में लापरवाही” के कारण या शॉर्ट सर्किट के कारण भी हो सकती है।
चार्जिंग के दौरान होने वाली सामान्य लापरवाही के कारण
इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री से जुड़े अन्य जानकारों का भी कहना है कि बैटरी में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे निर्माण में कमी, बैटरी में बाहरी क्षति या चार्जिंग के दौरान होने वाली सामान्य लापरवाही के कारण भी लिथियम ऑयन बैटरी में आग लग सकती है।
शार्ट सर्किट हो जाए तो एक सीरीज बन जाती है
दरअसल EV और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एक बैटरी पैक के अंदर सैकड़ों छोटी छोटी बैटरी लगी होती है। ऐसे में एक बैटरी पैक अंदर लगी कुछ बैटरी खराब हो जाए या शार्ट सर्किट हो जाए तो एक सीरीज बन जाती है और बैटरी के अंदर लगी सभी छोटी-छोटी बैटरियों में आग लग जाती है। एथर एनर्जी के संस्थापक तरुण मेहता ने कहा कि निर्माता उत्पादों को डिजाइन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं ले रहे हैं और सरकारी निकायों द्वारा निर्धारित परीक्षण मानक सभी वास्तविक जीवन स्थितियों का सटीक परीक्षण करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। इस मामले में जहां कंपनियां खुद आंतरिक जांच कर रही है, वहीं दूसरी ओर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अचानक आग लगने वाले वाहनों की जांच का आदेश दिया है।