6 अप्रैल, 2022: देश के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच Koo App (कू ऐप) ने स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन फीचर लॉन्च किया है और इसके साथ ही यह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है। कोई भी यूजर अब अपने सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र का इस्तेमाल करके चुटकियों में प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रोफ़ाइल को सेल्फ-वेरिफाई कर सकता है। यह कदम यूजर्स को मंच पर अपने खातों की प्रामाणिकता साबित करने के लिए सशक्त बनाता है और इस तरह से उनके द्वारा शेयर किए गए विचारों और राय को विश्वसनीयता प्रदान करता है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन असल आवाजों की दृश्यता को बढ़ावा देता है।
इस प्रक्रिया के बाद हरे रंग का टिक (Green Tick) यूजर के अकाउंट को सेल्फ-वेरिफाई होने के रूप में पहचान देगा। Koo App ऐसा पहला ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती’ है, जिसने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 4(7) के अनुसार इस फीचर को सक्षम किया है।
Koo App के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “सोशल मीडिया पर विश्वास और सुरक्षा को बढ़ावा देने में Koo App सबसे आगे है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन प्रणाली शुरू करने वाला दुनिया का पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म होने पर हमें बहुत गर्व है। यूजर्स हमारी सुरक्षित सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से कुछ सेकेंड में सेल्फ-वेरिफिकेशन हासिल कर सकते हैं। यह यूजर्स को अधिक प्रामाणिकता देने और प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अधिकांश सोशल मीडिया मंच यह ताकत केवल कुछ खातों को देते हैं। Koo App ऐसा पहला मंच है जिसने अब हर यूजर को समान विशेषाधिकार प्राप्त करने का अधिकार दिया है।”
स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. क्या Koo App यूजर की कोई जानकारी स्टोर करता है?
उत्तर- हीं, Koo App यूजर से संबंधित कोई भी जानकारी स्टोर नहीं करता है। सरकार द्वारा स्वीकृत थर्ड पार्टी की सेवा का इस्तेमाल जानकारी के सत्यापन के लिए किया जाता है।
2. क्या प्रमाणीकरण के बाद मेरे पहचान पत्र का विवरण Koo App पर दिखाई देता है?
उत्तर-नहीं, इसका इस्तेमाल केवल यूजर्स की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।
3. क्या अन्य यूजर्स को मेरे नाम और पहचान पत्र की जानकारी प्राप्त होगी?
उत्तर-नहीं। यूजर के प्रोफाइल पर विवरण वही रहता है जो सत्यापन से पहले हुआ करता था।
4. क्या Koo App पर सरकार द्वारा स्वीकृत पहचान पत्र की जानकारी दर्ज करना सुरक्षित है?
उत्तर-उत्तर-हां। Koo App पर स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकशन प्रक्रिया सुरक्षित है। यह सत्यापन प्रक्रिया सरकार द्वारा अधिकृत थर्ड-पार्टी द्वारा की जाती है। Koo App यूजर्स के डेटा को स्टोर नहीं करता है।
5. यूजर को ऐसा क्यों करना चाहिए?
उत्तर-एक यूजर जो अपनी प्रोफ़ाइल को वेरिफाई करता है, उसकी पहचान एक प्रामाणिक यूजर के रूप में की जाती है, जो बदले में उनके विचारों और राय को अधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन, मंच पर असल आवाजों को बढ़ावा देता है। यह उन्हें सत्यापन का वही विशेषाधिकार भी देता है जो अन्य सोशल मीडिया पर केवल कुछ प्रतिष्ठित खातों के लिए उपलब्ध था।
कू स्वैच्छिक सेल्फ वेरिफिकेशन – Koo (kooapp.com)
Koo App के बारे में जानिये
Koo App की लॉन्चिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी, ताकि भारतीयों को अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति करने में सक्षम किया जा सके। Koo App ने भाषा-आधारित माइक्रो-ब्लॉगिंग में नया बदलाव किया है। Koo App फिलहाल हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी समेत 10 भाषाओं में उपलब्ध है। Koo App भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में विचारों को साझा करने और स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति के लिए सशक्त बनाकर उनकी आवाज को लोकतांत्रिक बनाता है। मंच की एक अद्भुत विशेषता अनुवाद की है जो मूल टेक्स्ट से जुड़े संदर्भ और भाव को बनाए रखते हुए यूजर्स को रीयल टाइम में कई भाषाओं में अनुवाद कर अपना संदेश भेजने में सक्षम बनाती है, जो यूजर्स की पहुंच को बढ़ाता है और प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रियता तेज़ करता है। प्लेटफॉर्म 3 करोड़ डाउनलोड का मील का पत्थर छू चुका है और राजनीति, खेल, मीडिया, मनोरंजन, आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति के 7,000 से ज्यादा प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मूल भाषा में दर्शकों से जुड़ने के लिए सक्रिय रूप से मंच का लाभ उठाते हैं।