खाने के तेल हुए सस्ते, दाम में गिरावट के पीछे ये रहे बड़े कारण

सरकार को तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर विशेष ध्यान देना होगा तभी इस मामले में देश आत्मनिर्भर होगा। इससे हमारी विदेशी मुद्रा की बचत होगी। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार बढ़ेगा। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार बढ़ेगा

नई दिल्ली, पीटीआइ। बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव हानि के साथ बंद हुए। साधारण मांग से सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। बीते सप्ताह वार्षिक लेखाबंदी के कारण कारोबार सीमित होने से कीमतों में गिरावट आई। सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर रहे। केवल मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव में पिछले सप्ताह के मुकाबले 10 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। इसके अलावा शनिवार से नवरात्र की शुरुआत के मद्देनजर भी घरेलू के साथ-साथ कारोबारी मांग घटने से यह गिरावट और बढ़ गई। कारोबार के आगे के रुख का पता सोमवार को चलेगा।

सूत्रों ने कहा कि मामूली मांग होने की वजह से बीते सप्ताह विदेशों में मंदी के बावजूद सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 75-75 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 7,625-7,675 रुपये और 7,325-7,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। इसके उलट समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 400 रुपये, 250 रुपये और 200 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 15,800 रुपये, 15,600 रुपये और 14,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

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