अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव अगले वर्ष फरवरी के पहले सप्ताह में मनाया जाएगा। तीन दिवसीय महोत्सव का आगाज आदि बद्री यमुनानगर से होगा और सरस्वती नगरी पिहोवा में समापन होगा। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की तर्ज पर पिहोवा सरस्वती तीर्थ पर सरस मेला लगाया जाएगा। हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड ने महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है।
सरस्वती का उद्गम स्थल आदिबद्री माना जाता है। माना जाता है कि सरस्वती नदी के किनारे ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। इसके परिणाम आज भी मिल रहे हैं। कई वर्षों से हरियाणा सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव मना रहा है। इस बार महोत्सव 3 से 5 फरवरी को मनाया जाएगा।
आदिबद्री में 108 कुंडीय हवन होंगे।
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंगर किर्मच ने बताया कि 3 फरवरी को आदिबद्री में 108 कुंडीय हवन किया जाएगा। इसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्र के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत सहित कई मंत्री शामिल होंगे। 4 फरवरी को पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में अंतरराष्ट्रीय सरस्वती सेमिनार किया जाएगा। 5 फरवरी को भी होगा में सरस्वती तीर्थ पर 108 कुंडीय हवन किया जाएगा। यह सरस मेला इस बार आकर्षण का केंद्र होगा।
नदी के 15वी शताब्दी से पहले अस्तित्व में होने के मिले प्रमाण।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च ऑन सरस्वती रिवर के निदेशक प्रोफेसर ए आर चौधरी ने बताया कि सरस्वती नदी आदि बद्री यमुनानगर से निकली थी और कुरुक्षेत्र व पिहोवा होते हुए आगे गई थी। 15 वी शताब्दी के पहले तक सरस्वती नदी के अस्तित्व में होने के प्रमाण मिले हैं। इनको चिन्हित किया गया है। दूसरे बड़े प्रमाण यहां मिले तीर्थ हैं।