सुल्तान के बेटे चांद ने रोशन किया हरियाणा का नाम, रोजाना 5 लीटर दूध पीकर हो रहा है हट्टा-कट्टा

Delhi: हम जानते हैं कि देश में कई जगह पर पशुओं की प्रदर्शनियों का आयोजना भी किया जाता है। इसमें सबसे उम्दा नस्ल के पशु को ही विजेता भी बनाया जाता है। कई जानवरों की तो करोड़ों में कीमत भी लगती है। आज हम आपको एक ऐसे ही कटड़े के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने पूरे हरियाणा का नाम रोशन कर दिया है। इस कटड़ा हरियाणा के कैथल के गाँव में रहने वाले सुल्तान झोटे का ही बेटा है।

इसका नाम चांद है जो आज अपने दादा और पिता की तरह ही अपना नाम बना रहा है। चांद बेहद ही खास कटड़ा है और इसका खाना पीना भी काफी ज्यादा है। चांद का मालिक प्रदीप है और दोनों में काफी लगाव भी है। चांद अब तक कई पशु प्रतितयोगिताओं को भी जीत चुका है। वहीं चांद की कीमत भी करोड़ों रुपये की बताई जाती है।

अपने मालिक से है बेहद लगाव

बता दें कि चांद सुल्तान झोटे का ही बेटा है। चांद के पिता सुल्तान की कीमत भी करीब 21 करोड़ की बताई जाती है। वहीं चांद के दादा की कीमत भी 25 करोड़ की लगी थी। हालांकि पिछले साल ही सुल्तान की मौत हार्ट अटैक के कारण हो गई थी। लेकिन अब सुल्तान का बेटा चांद भी हरियाणा का नाम रोशन कर दिया है। चांद का जन्म 11 मई 2018 को हुआ था। चांद की ऊंचाई 5 फेट 10 इंच है और लंबाई इसकी 15 फीट है।

इसके अलावा चांद के वजन भी 7 क्विंटल बताया जाता है। जानकारी के मुताबिक पानीपत के प्रदीप ने ही इस कटड़े को तैयार किया है। चांद और प्रदीप में काफी लगाव बताया जाता है। जानकारी के अनुसार प्रदीप की एक आवाज़ पर ही चांद उसके पास पहुँच जाता है। वहीं चांद प्रदीप की हर बात भी मानता है। इसके बदले प्रदीप भी चांद को खूब प्यार करता है और उसका अच्छे से ध्यान भी रखता है।

अब तक कई प्रतियोगिताओं में दिखाया अपना दमखम

बता दें कि चांद अब तक कई प्रतियोगिताओं में सफलता को हासिल कर चुका है। 2 साल 9 महीने की उम्र में चांद ने फ़तेहाबाद में आयोजित राष्ट्रीय पशु प्रदर्शनी में हिस्सा लिया था। यहाँ देश के करीब 600 पशुओं ने भाग लिया था लेकिन इन सब में पहला स्थान चांद को ही मिला था। वहीं 2020 में भी एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें चांद को तीसरा स्थान मिला।

चांद खाने में चने का आता, गेहूं, चना, बिनोला और हरी सब्जियों का सेवन करता है। वहीं चांद रोजाना 5 लीटर दूध भी पीता है। वहीं गर्मियों में भी चांद को गद्दे और कूलर के सामने सुलाया जाता है।

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