6 मंडियां बंद करने पर विरोध:कैथल-कुरुक्षेत्र के 110 गांवों के किसानों की फसल खरीद पर संशय; दिया ऑप्शन- साइलो में ले जाएं या मंडी में बेचें

गेहूं की कटाई से पहले ही कैथल और कुरुक्षेत्र जिले के 110 गांवों के किसानों को फसल बेचने को लेकर संकट खड़ा हो गया है। पहले 6 मंडियों को बंद का ऐलान कर किसानों को गेहूं सोलूमाजरा स्थिति अडानी एग्रो लॉजिस्टिक के साइलो में लाने को कहा। अब किसान को मंडियों में गेहूं लेकर जाने के कहा गया। ऐसे में किसानों का संशय बरकरार है। वहीं, कांग्रेस, इनेलो, भाकियू समेत चारों तरफ से हुए विरोध को देखते हुए मंडियों को शुरू करने का एलान किया।

15 मार्च को खाद्य आपूर्ति विभाग के आदेश आए कि कैथल और कुरुक्षेत्र जिले की अनाज मंडी ढांड, पूंडरी, कौल, पाई, गुमथला गडू व पिहोवा में इस बार खरीद नहीं होगी। कोई भी खरीद एजेंसी अनाज मंडियों में अपना बारदाना न पहुंचाए। मंंडियों के अधीन जाने वाले किसानों को अपना अनाज सीधे सोलूमाजरा अडानी एग्रो में लेकर जाना होगा। आदेश का कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, सांसद दीपेंद्र हुड्डा और भारतीय किसान यूनियन ने विरोध किया। सरकार ने 22 मार्च को सभी मंडियों का शेडयूल जारी किया। इसमें उन्होंने खरीद एजेंसियों के दिन तय किए। साथ ही कहा कि चाहे तो सीधे साइलो में गेहूं लेकर जा सकते हैं नहीं वो अपनी फसल मंडी में भी बेच सकते हैं।

कांग्रेस नेता सुरजेवाला का ट्वीट।
कांग्रेस नेता सुरजेवाला का ट्वीट

मंडियां बंद की तो करेंगे आंदोलन

भाकियू नेता विक्रम कसाना का कहना है कि एक अनाज मंडी के साथ किसान के अलावा आढ़ती, मजदूर, ट्रक-रेहडा चालक, बाजार भी जुड़ा है। मंडी बंद होने से हर वर्ग पर इसका असर होगा। वहीं किसानों की परेशानी बढ़ जाएगी। ऐसे में सरकार को अपने आदेश वापस लेने पड़े। उन्होंने सरकार के पास विरोध जताते हुए मंडियों को शुरू करने का मांगपत्र भेजा था। इसे मानते हुए मंडियों को दोबारा शुरू कर दिया है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि दोबारा से ऐसा किया तो भाकियू आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा।

गेहूं की फसल में आग का भय

किसान बलबीर का कहना है कि गेहूं की फसल को दूसरी फसलों के साथ तुलना नहीं कर सकते। गेहूं का खेल बारुद से कम नहीं होता। फसल में आग लगने का भय बना रहता है। किसानों को गेहूं की फसल जल्द से जल्दी खेत से मंडी में पहुंचाने की होती है। वहीं अडानी एग्रो में किसान ज्यादा होने और व्यवस्था कम होने के कारण 3 से 4 दिन में नंबर आता है। सबसे पड़ी परेशान नंबर आने के बाद नमी 12 प्रतिशत से अधिक होने पर उसको दोबारा से लाइन में लगना पड़ता है। ऐसे में किसान की फसल को जल्द खरीदा जाए। इसके बाद उसको साइलो में लगाने का कार्य आराम से भी हो सकती है।

किसान नेता विक्रम कसाना।
किसान नेता विक्रम कसाना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *