केएमपी एक्सप्रेस वे पर जन सुविधाएं देने के लिए कोई भी कंपनी आगे नहीं आ रही है। एचएसआइआइडीसी के अधिकारी इसके लिए दो बार टेंडर कर चुके हैं। 135.6 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे पर चार साल से टोल टैक्स वसूला जा रहा है।
ठेकेदार इस काम के लिए आगे नहीं आया
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सबसे लंबे कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस वे पर जन सुविधाएं स्थापित करने को कोई कंपनी आगे नहीं आ रही है। हरियाणा औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) द्वारा दो बार टेंडर कर प्राइवेट कंपनियों, ठेकेदारों और दुकानदारों को केएमपी पर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आमंत्रित किया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई कंपनी अथवा ठेकेदार इस काम के लिए आगे नहीं आया है।
केएमपी एक्सप्रेस-वे 135.6 किलोमीटर लंबा छह लेन का परिचालन एक्सप्रेस-वे है, जिसमें प्रत्येक दिशा में तीन लेन हैं। इसे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे माना जाता है। केएमपी हाईवे को फोर लेन एक्सप्रेस-वे से छह लेन एक्सप्रेस-वे में अपग्रेड किया गया था, जिस पर कुल नौ हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें से 2,988 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण पर और 6,400 करोड़ रुपये केएमपी एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर खर्च किए गए।
न तो कोई शौचालय है, न ही कोई ढाबा, होटल अथवा विश्राम गृह
केएमपी पर न तो क्रेन का इंतजाम
वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में केएमपी पर न तो क्रेन का इंतजाम है और न ही किसी अस्पताल की व्यवस्था है। इस अति व्यस्त केएमपी पर लाइट की सुविधा भी नहीं है, जबकि टोल बैरियर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बने हुए हैं।
इस एक्सप्रेस-वे में कुल 10 प्रवेश और निकास बिंदु हैं, जो टोल बूथों द्वारा संचालित हैं। यहां दिसंबर 2018 से टोल टैक्स वसूल किया जा रहा है। केएमपी एक्सप्रेस-वे पर दोपहिया वाहनों के संचालन की अनुमति नहीं है, लेकिन फिर भी लोग चलते हैं। इन टोल प्वाइंट के अलावा केएमपी पर 23 ओवरपास और 52 अंडरपास हैं। यहां 31 मवेशी क्रासिंग मार्ग और 61 पैदल यात्री क्रासिंग मार्ग हैं।
केंद्र सरकार ने एलएमवी और एचएमवी के लिए क्रमशः 120 किलोमीटर प्रति घंटा और 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा निर्धारित की थी, लेकिन हरियाणा सरकार ने एक्सप्रेस-वे के 83 किलोमीटर पर मानेसर और कुंडली के बीच एलएमवी के लिए 80 किलोमीटर प्रति घंटे और एचएमवी के लिए 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तय कर रखी है। ऐसा दुर्घटनाओं को कम करने के इरादे से किया गया था।
एचएसआइआइडीसी को तीसरी बार टेंडर करने को बोला
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि केएमपी का निर्माण एचएसआइआइडीसी ने करवाया और इसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी उसी की है। केएमपी का निर्माण करने वाली कंपनी का सुविधाओं से कोई लेनादेना नहीं है। हमने अब तक दो बार टेंडर कर लिया है, मगर कोई व्यक्ति, कंपनी अथवा ठेकेदार इसके लिए आगे नहीं आया। इसके कारणों की पड़ताल की जा रही है। पूरी तरह से होमवर्क करने के बाद एचएसआइआइडीसी को फिर से टेंडर के लिए कहा गया है। हम केएमपी पर सफर को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए संकल्पित हैं।