राजधानी दिल्ली में 2016 से 2019 के बीच हुए वार्षिक पौधारोपण के ऑडिट से यह पता चला है कि कई स्थानों पर जंगली जानवरों और आवारा पशुओं ने पौधों को नुकसान पहुंचाया तथा कई स्थानों पर मिट्टी एवं जल संरक्षण के उपायों को नहीं अपनाया गया।
देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI) ने पिछले साल वार्षिक पौधारोपण का ऑडिट किया था। इसने कहा है कि पौधारोपण स्थलों के रिकॉर्ड, सर्वे टीम को प्रस्तुत नहीं किए गए या दिखाए नहीं गए।
संस्थान ने दिल्ली के वन विभाग को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा है कि निगरानी के संदर्भ में और गतिविधियों को भविष्य में लागू करने में यह एक गंभीर समस्या है। सिर्फ पौधों की संख्या, स्थान के नाम और जीआईएस नक्शे दिखाए गए।
नॉर्थ डिवीजन में जीवित रहने की दर 80.21 प्रतिशत थी। पश्चिम डिविजन के अलीपुर रेंज में 78.5 फीसदी और नजफगढ़ रेंज में 75.68 फीसदी पौधे बचे हैं। दक्षिणी डिवीजन में, महरौली में जीवित रहने की दर 72 प्रतिशत, असोला भट्टी चरण-I में 76 प्रतिशत और चरण 2 में 81.33 प्रतिशत थी।