मणिपुर चुनाव: कांग्रेस के लिए पूर्वोत्तर में अस्तित्व की लड़ाई, 5 साल में 13 विधायकों ने थामा भाजपा का दामन

मणिपुर विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम है। पार्टी के लिए यह चुनाव सिर्फ मणिपुर चुनाव में हार-जीत तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि, मणिपुर चुनाव का असर वर्ष 2023 में होने वाले पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।

SEE MORE-

पूर्वोत्तर कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। वर्ष 2015 में पूर्वोत्तर के आठ में से पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। पर, पिछले सात वर्षों में एक के बाद एक पार्टी सभी राज्य भाजपा और उसके सहयोगियों से हार गई। इस वक्त पार्टी सिर्फ असम में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है।

मणिपुर में कांग्रेस लगातार 15 साल तक सत्ता में रही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी 28 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पर, वह सरकार बनाने में विफल रही और भाजपा ने क्षेत्रीय दल नागा पीपुल्स फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ सरकार बनाई।

पिछले पांच साल में कांग्रेस के 13 विधायक पार्टी का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में भी यह सिलसिला जारी है। मेघालय में पार्टी के कई विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। असम में भी कई विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का कमल थामा है।

ऐसे स्थिति में मणिपुर विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी अहम हो जाते हैं। पार्टी इस बार लेफ्ट और जद (एस) के साथ मिलकर मणिपुर प्रोग्रेसिव सेक्युलर अलायंस में चुनाव लड़ रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सेक्युलर अलायंस के बाद चुनाव में पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है।

इस सबके बावजूद कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती चेहरे की है। पार्टी के पास कोई ऐसा युवा चेहरा नहीं है, जिसकी पूरे प्रदेश में पहचान हो। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह को पार्टी ने एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि, पार्टी नेता मानते हैं कि प्रदेश में नया नेतृत्व विकसित करना होगा।

तृणमूल कांग्रेस भी इस बार पूरी शिद्दत के साथ चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है। तृणमूल कांग्रेस वर्ष 2017 में भी 16 सीट पर चुनाव लड़ी थी और एक सीट जीती थी। पर उस वक्त पार्टी इतनी आक्रामक नहीं थी। पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार जीतने के बाद तृणमूल अपना दायरा बढ़ा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *