चंडीगढ़, । हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर होडल के विधायक उदयभान की ताजपोशी के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पावरफुल बनकर उभरे हैं। पंजाब में कांग्रेस के राजनीतिक बिखराव से सबक लेते हुए पार्टी हाईकमान ने हुड्डा को जिस तरह खुलकर खेलने का मौका दिया, उससे साफ नजर आ रहा है कि हरियाणा में न केवल जल्दी ही संगठन तैयार होगा, बल्कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर हुड्डा की पसंद-नापसंद का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुड्डा ने खुलकर कहा था कि यदि टिकटों का बंटवारा ठीक ढंग से हो गया होता तो हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती। उनका इशारा निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा की तरफ था, जिन्होंने करीब आधा दर्जन ऐसे नेताओं के टिकट कटवा दिए थे, जिन्हें हुड्डा चुनाव लड़वाना चाहते थे।
हुड्डा समर्थक विधायक पिछले काफी समय से कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवाने के लिए प्रयास कर रहे थे। सैलजा से पहले अशोक तंवर और हुड्डा समर्थक विधायकों की भी पटरी नहीं बैठ पाई थी। इस तनातनी का नतीजा यह हुआ कि न तो अशोक तंवर और न ही सैलजा संगठन तैयार नहीं कर पाए।
हुड्डा समर्थक विधायकों ने संगठन की कमी को ही आधार बनाते हुए जिस तरह पहले तंवर और अब सैलजा के खिलाफ मोर्चा खोला, उसमें हुड्डा कामयाब हो गए हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस हाईकमान और हुड्डा दोनों ही प्रदेश अध्यक्ष के पद पर दलित नेता की नियुक्ति को अनदेखा नहीं कर पाए हैं।
फूलचंद मुलाना, अशोक तंवर और कुमारी सैलजा के बाद उदयभान ऐसे चौथे दलित नेता हैं, जिनकी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हुई है। कांग्रेस हाईकमान ने नए अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति करते समय सभी धड़ों को एडजेस्ट तो किया ही, साथ ही हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल के नेता पर बरकरार रखते हुए दलित व जाट के बीच राजनीतिक संतुलन साधने में सफलता हासिल की है।
कांग्रेस के सभी धड़ों को एडजेस्ट करने के साथ ही जी-23 को अहमियत
हुड्डा को कांग्रेस के जी-23 यानी असंतुष्ट नेताओं का बड़ा नेता माना जाता है। हिमाचल प्रदेश के बाद हरियाणा में जिस तरह कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को हाईकमान ने तरजीह दी है, उसे देखकर यह भी लग रहा है कि पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अध्यक्ष के पद पर सैलजा का कार्यकाल दो साल सात माह का रहा है, जबकि प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद तंवर ने कांग्रेस को अलविदा बोल दिया था। वे वर्तमान में आम आदमी पार्टी में सक्रिय हैं।
हरियाणा के चारों कोनों को मिला प्रतिनिधित्व
नई नियुक्ति के साथ ही कांग्रेस हाईकमान ने जाट और गैर जाट यानी दलित के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है। जाटों के प्रतिनिधित्व के रूप में श्रुति चौधरी, गुर्जरों के लिए रामकिशन गुर्जर, ब्राह्मण प्रतिनिधित्व के लिए जितेंद्र कुमार भारद्वाज व वैश्य कोटे से सुरेश गुप्ता को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
यादव कोटे से पार्टी ने कैप्टन अजय सिंह यादव को पहले ही पिछड़ा वर्ग विभाग का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया था। रामकिशन गुर्जर और सुरेश गुप्ता के बहाने पार्टी ने जीटी रोड बेल्ट को प्रतिनिधित्व दिया है। मध्य हरियाणा रोहतक से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और भिवानी से श्रुति चौधरी और दक्षिण हरियाणा से उदयभान और जितेंद्र भारद्वाज को पार्टी में जगह मिली है।
सैलजा नेशनल टीम में होंगी एडजेस्ट
कांग्रेस हाईकमान में कुमारी सैलजा को सोनिया गांधी की भरोसेमंद नेता माना जाता है, लेकिन जिस तरह से टिकटों के बंटवारे में उन्होंने हुड्डा की राह में रोड़े अटकाए, उससे वह हुड्डा के निशाने पर आ गई थी। अब सैलजा को कांग्रेस की नेशनल टीम में जगह मिलने के साथ ही राज्यसभा भी भेजा जा सकता है।
इसलिए प्रदेश प्रधान नहीं बने भूपेंद्र हुड्डा
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ताजपोशी की संभावना थी, लेकिन उनके नजदीकी लोग बताते हैं कि हुड्डा जानबूझकर प्रदेश अध्यक्ष नहीं बने। पार्टी में आम धारणा है कि जो नेता कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनता है, वह कभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाया है। इसलिए हुड्डा ने कांग्रेस विधायक दल का नेता बने रहना मंजूर किया है।