यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच जारी सैन्य संघर्ष के कारण वैश्विक और घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में गिरावट का माहौल है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बीते छह महीनों से बिकवाली कर रहे हैं। तेल, कोयला, धातु जैसी प्रमुख कमोडिटी की कीमतें आसमान पर बनी हुई हैं। इन सबसे निवेशकों की भावना बिगड़ी हुई है। जानकारों का कहना है कि इस सप्ताह यूपी समेत पांच राज्यों की मतगणना, एलआईसी आईपीओ की तारीख पर निर्णय और वैश्विक मुद्राओं का घरेलू बाजारों पर असर दिख सकता है। आईए जानते हैं कि इस सप्ताह सेंसेक्स और निफ्टी किन कारणों से प्रभावित हो सकते है।
जीसीएल सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष रवि सिंघल का कहना है कि उत्तर प्रदेशके चुनाव की मतगणना का परिणाम 10 मार्च को घोषित होगा। इससे बाजार के निवेशकों पर छोटी अवधि का असर पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि चुनाव परिणाम से देश के सबसे बड़े राजनीतिक राज्य के लोगों की केंद्र और प्रदेश की सरकार के प्रति भावना की जानकारी मिलेगी। वास्तव में सात मार्च को अंतिम चरण के मतदान के बाद आने वाले एक्जिट पोल से ही जनादेश का संकेत मिल जाएगा। सिंघल ने निवेशकों से यूपी चुनाव पर नजर बनाए रखने की सलाह ही है।
बीते सप्ताह एलआईसी आईपीओ के टलने संबंधी कई खबरें आई हैं। हालांकि, इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। रवि सिंघल का कहना है कि निवेशकों को इस पर नजर बनाए रखने की जरूरत है। सिंघल का कहना है कि यदि एलआईसी के आईपीओ को टाला जाता है तो बाजार में नकदी बढ़ सकती है। इसका कारण यह है कि बड़ी संख्या में निवेशकों ने एलआईसी के आईपीओ के लिए नकदी बचा रखी है।
आईआईएफएल सिक्युरिटीज के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि निवेशकों को रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध पर नजर रखने की आवश्यकता है। यह दुनियाभर के इक्विटी बाजारों के लिए सबसे बड़ा उत्प्रेरक है। सीजफायर या जियोपॉलिटिकल तनाव को लेकर होने वाले किसी भी फैसले से बाजार गति मिल सकती है।
कंपनियों के लिए अग्रिम आयकर जमा करने की अंतिम तारीख 15 मार्च है। इससे बाजार में लिस्टेड कंपनियों की संभावित आय का संकेत मिल सकता है। ऐसे में जो लोग स्टॉक पर आधारित निवेश करते हैं वे लिस्टेड कंपनियों की अग्रिम कर रिपोट पर नजर बनाए रखें।
पिछले सप्ताह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं खासकर यूरो और रुपये में हाजिर बाजार में भारी गिरावट रही है। पिछले सप्ताह डॉलर के मुकाबले यूरो में गिरावट के कारण यूरोपियन बाजारों में तगड़ी गिरावट रही है। वहीं, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया भी 1.10 फीसदी लुढ़का है। अनुज गुप्ता का कहना है कि हाजिर बाजार में वैश्विक मुद्राओं में और गिरावट आती है तो इससे निवेशकों में छोटी अवधि के लिए नकारात्मक भावना पैदा हो सकती है। गुप्ता का कहना है कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से भी मुद्रा की कीमतों में गिरावट आ रही है