लेटलतीफी:2005 में हुए सर्वे के आधार पर चार साल पहले प्रिंट हुए राशन कार्ड अब बांटे जा रहे

सरकारी सिस्टम देखिए। सरकार सभी योजनाएं ऑनलाइन कर रही है। इसमें राशन कार्ड तक ऑनलाइन कर दिए गए, लेकिन चार साल पहले प्रिंट होकर यमुनानगर पहुंचे राशन कार्ड अब बांटी जा रहे हैं। सभी राशन डिपो संचालकों को बुलाकर उन्हें डीएफएससी ऑफिस में रखी राशन कार्ड कॉपियां थमा दी गई। जबकि चार साल से बिना देखरेख के रखे इसमें से कुछ राशन कार्ड तो फट चुके हैं,

वहीं कुछ रद्दी हो चुके हैं। अब आनन फानन में बांटने के निर्देश दे दिए गए। डिपो संचालकों को पैसे भी जमा कराने पड़े रहे हैं। जबकि उन्हें इन राशन कार्ड के पैसे उपभोक्ता से तब मिलेंगे जब वे राशन कार्ड लेंगे। यमुनानगर जिले में करीब ढाई लाख राशन कार्ड हैं। जो राशन कार्ड की कॉपी सरकार ने प्रिंट कराकर साल 2018 में भेजी थी, उसे कार्ड धारक को पैसे में देना है।

शालिनी ने साढौरा में खिलाया कमल:चुन ली साढौरा की सरकार , विधायकी की हार का बदला भाजपा ने कांग्रेस से नगरपालिका में लिया

बीपीएल कार्ड का रेट 10 रुपए, पीएचएच का रेट 15 रुपए है। वहीं एएवाई (गुलाबी कार्ड) का पांच रुपए रेट है। वहीं, कहा जा रहा है कि राशन कार्ड प्रिंट होने के बाद न बंटने का मामला सरकार तक पहुंचा तो सामने आया कि सरकार ने 20 से 25 लाख रुपए में यमुनानगर के लिए राशन कार्ड प्रिंट कराए थे। वहीं, कुछ डिपो संचालकों का कहना है कि सरकार ने कोई आदेश नहीं दिए, यमुनानगर के अधिकारी अपने स्तर पर इन राशन कार्डों को बंटवा रहे हैं।

अब राशन व अन्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए मांगा जाता है ऑनलाइन प्रिंट आउट
जो राशन कार्ड कॉपी दी जा रही है, वह साल 2005 में हुए सर्वे के आधार पर प्रिंट हुई थी। बहुत से परिवारों के राशन कार्ड में साल 2005 के बाद नए सदस्य जुड़े हैं तो कुछ में कटे हैं। वहीं दूसरा अब ऑनलाइन प्रिंट आउट ही राशन कार्ड है। राशन लेने में राशन कार्ड देना हो या फिर अन्य सुविधा का लाभ लेने में, वहां पर ऑनलाइन प्रिंट आउट ही मांगा जाता है। राशन कार्ड देते समय कॉपी में दर्ज करने का सिस्टम अब बंद हो चुका है। इस तरह से अब राशन कार्ड कॉपी की जरूरी नहीं है।

बता दें कि सरकार तीन से चार साल से राशन कार्ड कॉपी न बनाकर स्मार्ट कार्ड बना रही है। इसमें एक ही पेज का स्मार्ट कार्ड दिया जाता था। इसमें परिवार की पूरी जानकारी होती थी। ऑनलाइन ये प्रिंट हो जाता था। अब ज्यादातर जगह पर स्मार्ट कार्ड ही मांगा जाता है। जिन परिवारों को सरकारी योजना के अनुसार राशन मिलता है, उन्हें स्मार्ट कार्ड पर ही राशन दिया जाता है। हालांकि कई जिलों में तो फैमिली आईडी से राशन वितरण जोड़ दिया गया है। फैमिली आईडी के माध्यम से ही राशन दिया जा रहा है।

राशन डिपो संचालक बीच में फंसे
राशन डिपो संचालकों का कहना है कि कॉपी वाले राशन कार्ड की अब कोई जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ दिन पहले अधिकारियों ने निर्देश दे दिए कि उन्हें राशन कार्ड जल्द से जल्द बांटने हैं। इनके पैसे भी जमा कराने हैं। राशन डिपो संचालकों को अपनी जेब से पैसे जमा कराने होंगे। उनका कहना है कि सरकार ने जब इन्हें बांटने पर पहले रोक लगा दी थी तो अब इन्हें अचानक क्यों बांटने के आदेश दिए जा रहे हैं।

वहीं, डीएफएससी कुशलपाल बूरा का कहना है कि राशन कार्ड प्रिंट होकर कई साल पहले आ गए थे, लेकिन किसी कारण से बंट नहीं पाए थे। जिनके लिए ये प्रिंट हुए है, उन्हें मिलने चाहिए। इसलिए इन्हें उन पर पहुंचाने के लिए राशन डिपो संचालकों को दिया जा रहा है। अब पूरी डिटेल ऑनलाइन भी हो चुकी है।

यमुनानगर टोल टैक्स किसानों ने कराया बिल्कुल फ्री जाने आखिर क्यों

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *