यमुना नदी के नगली घाट पर बन रहे ओवरब्रिज के कंस्ट्रक्शन कार्य में एक बार फिर तेजी आ गई है। करोड़ों की राशि से बनने वाला यह ओवरब्रिज दो प्रदेशों की सीमाओं को जोड़ेगा। ओवरब्रिज के कंस्ट्रक्शन का कार्य वर्ष 2023 में पूरा होने की संभावना है। मौजूदा समय में ओवरब्रिज पर रैंप बनाने का कार्य शुरू हो चुका है। अर्थमूविंग मशीन की मदद से रैंप पर मिट्टी डाली जा रही है। वहीं, ओवरब्रिज के रास्ते में बिजली के जो पोल खड़े हैं, उन्हें शिफ्ट करने के लिए भी टेंडर अलॉट हो चुका है। बिजली निगम रादौर के एसडीओ पंकज देशवाल ने बताया कि इस सप्ताह पोल शिफ्ट करने का कार्य शुरू हो जाएगा।
पंकज देशवाल ने बताया कि ओवरब्रिज के रास्ते में 67 पोल व 3 ट्रांसफार्मर आ रहे हैं। ये सभी शिफ्ट किए जाएंगे। शिफ्ट करने के लिए करीब 29 लाख रुपए का टेंडर अलॉट हो चुका है। इस सप्ताह पोल शिफ्ट करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जून 2021 में पूरा होना था कार्य |दो प्रदेशों की सीमाओं को जोड़ने वाले इस ओवरब्रिज के कंस्ट्रक्शन का कार्य वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। जून 2021 तक कार्य पूरा होना था, लेकिन कोरोना व बार-बार यमुना नदी की धारा बदलने से यह कार्य प्रभावित रहा। अब वर्ष 2023 में ही इसके पूरा होने की संभावना है। इस ओवरब्रिज पर करीब 84 करोड़ की लागत आएगी। ओवरब्रिज की लंबाई करीब 576 मीटर है। ओवरब्रिज तक आने के लिए हरियाणा की साइड करीब 1200 व यूपी की साइड करीब 1100 मीटर का रास्ता है। इसके लिए करीब 61 एकड़ जमीन एक्वायर की गई है।
किसानों के लिए बड़ी सौगात
यमुना नदी के उस पार (उत्तर प्रदेश की साइड) क्षेत्र के संधाला, गुमथला, जठलाना, संधाली, लालछप्पर, मोहड़ी, बरहेड़ी, बागवाली, उन्हेड़ी, बरसान, मारूपुर, कंडराेली व एमटी करहेड़ा सहित कई गांवों के किसानों की हजारों एकड़ भूमि है। किसान अपने खेत तक आने-जाने के लिए यमुना नदी के बीच पानी या फिर नाव का सहारा लेते हैं। बारिश के दिनों में जब यमुना नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, तो किसान कई दिनों तक अपने ट्यूबवेलों के कमरों में ठहरते हैं। कृषि यंत्रों के साथ किसानों को कलानौर बॉर्डर से लंबा सफर तय कर खेत में आना-जाना पड़ता है। ओवरब्रिज बनने से क्षेत्र के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। खेत में आना-जाना आसान होगा।