राजकीय स्कूलों से मिड-डे मील वर्कर्स को 60 साल की आयु होने पर नौकरी से निकाला जा रहा है। उन्हें विभाग कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रहा है। स्कूल से निकालने के साथ उन्हें 10 लाख की आर्थिक सहायता भी दी जाए। इसके साथ अन्य मांगों को लेकर मिड-डे मील वर्कर यूनियन ने शनिवार अनाज मंडी जगाधरी में राज्य प्रधान हुकमी कांबोज की अध्यक्षता में धरना दिया। तहसीलदार के माध्यम से डायरेक्टर शिक्षा विभाग को ज्ञापन भी दिया।
हुकमी कांबोज ने बताया कि मिड-डे मील वर्कर वर्ष 2004 से स्कूलाें में सेवाएं दे रही हैं। अब उन महिलाओं को बाहर निकाला जा रहा है, जिनकी आयु 60 वर्ष की हो गई है। उन्हें घर भेजने से पहले विभाग की ओर से कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जा रही। ऐसे में वे अपना खर्च कैसे चलाएंगी। इसलिए उनकी मांग है कि वर्करों को विभाग आर्थिक सहायता दे। जिससे वे अपना गुजारा कर सके। इो लेकर पहले भी कई बार अधिकारी से बात की जा चुकी। उनकी मांगों पर हमेशा आश्वासन ही दिया गया। ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। उनकी दूसरी मांग है कि जिन महिलाओं को बाहर निकाल रहे हैं। उनकी जगह पर उनकी बेटी, बहू को रखा जाए। कई स्कूल ऐेसे हैं, जहां की वर्करों को काफी समय से मानदेय नहीं मिला है। मानदेय भी जारी किया जाए। मिड-डे मील वर्करों से कार्य खूब लिया जाता है। फिर भी उनका मानदेय काट लिया जाता है। मिड-डे मील वर्करों को कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। वर्करों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मौके पर दिनेश शर्मा, रेशमा, बबली देवी, शोभा, पूजा देवी, रक्षा देवी, भागवंती, स्टार्च मिल इनटेक से धर्मपाल व पेपर मिल के प्रधान राजकुमार त्यागी भी मौजूद रहे।