यमुनानगर : अप्रैल के पहले सप्ताह से नगर निगम की कुर्सी खाली है। हालांकि पंचकूला के कमिश्नर धर्मवीर को लिक आफिसर नियुक्त किया हुआ है, लेकिन कामों को गति नहीं मिल रही है। क्योंकि कमिश्नर धर्मवीर निगम कार्यालय में नहीं आते। रूटीन के काम नहीं हो पा रहे हैं। 190 किलोमीटर की दूरी तय करके सप्ताह में एक दिन अधिकारी आवश्यक फाइलों को लेकर पंचकुला जाते हैं। ऐसे में हर छोटा-बड़ा काम के पूरा होने में समय लग रहा है। क्योंकि शक्ति निगम कमिश्नर के पास है। चर्चा यह है कि आखिर निगम कमिश्नर की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है। न ही डीसी को कार्यभार सौंपा जा रहा है। उधर, कई पार्षदों ने शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डा. कमल गुप्ता को मिलने की तैयारी में हैं। पांच अप्रैल को कमिश्नर धीरेंद्र खड़गटा के तबादले के बाद आइएएस अफसरों में बड़ा फेरबदल जरूर हुआ, लेकिन निगम को कमिश्नर नहीं मिला
। बंद कमरा देख लौट रहे फरियादी :
रूटीन की फाइलों के साथ निगम के विभिन्न वार्डों में लगने वाले विकास कार्यों के टेंडर, एस्टीमेट रिवाइज करने व फंड बुक करवाने संबंधित काम नियमित रूप से नहीं हो पा रहे हैं। दूसरा, प्रापर्टी टैक्स की रिकवरी के लिए शुरू हुई कार्रवाई भी रुक गई है। प्रापर्टी टैक्स के चार करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए 80 प्रतिष्ठान मालिकों को नोटिस जारी किए गए थे। इनको सील किए जाने की तैयारी भी हो गई थी, लेकिन कमिश्नर के तबादले के बाद यह आगे नहीं बढ़ पाई। क्योंकि सील खोलने की पावर निगम कमिश्नर को ही है। सीलिग की कार्रवाई के बाद अधिकांश प्रतिष्ठान मालिक टैक्स जमा करा देते हैं। टैक्स जमा करवाने के बाद सील हटा दी जाती है।
सीएम से बात हुई है :
नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी में कमिश्नर की नियुक्ति के बारे में सीएम मनोहर लाल से बात हुई है। इतने लंबे समय तक निगम कमिश्नर की नियुक्ति न होना वाकई चिता का विषय है। उम्मीद है जल्दी की निगम को कमिश्नर मिल जाएगा।
घनश्याम दास अरोड़ा, विधायक।