पंचायतें भंग होने से लटका विकास, 428 में से 123 हुए पूरे

यमुनानगर : 23 फरवरी 2021 को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया। बीडीपीओ को प्रशासक बना दिया गया। इसके बाद से ही गांव में विकास कार्य रूके पड़े हैं। कई गांवों में तो स्थिति बहुत अधिक बिगड़ गई है। गत वर्ष गांव पंचायत विभाग ने 428 कार्य कराने के प्रस्ताव पास किए थे। जिनमें से 123 कार्य ही हो पाए। सबसे ज्यादा दिक्कत उन गांव में हैं, यहां पर निर्माण कार्य अधर में लटके हुए हैं। ऐसे हालत हो गए है कि गांव में पानी की लीकेज का पाइप भी ठीक नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार जल्द से चुनाव का समय तय करें, तभी गांवों में विकास कार्य हो सकते हैं। पंचायत भंग हुए एक साल दो माह से ज्यादा समय हो चुका है। तभी से जिले के 675 गांवों में इसी तरह के हालात हैं

पंचायत विभाग ने मात्र 17 काम पूरे कराए

गत वित्त वर्ष में पंचायत विभाग द्वारा 143 विकास कार्य कराए जाने थे। जिनमें मात्र 17 कार्य ही पूरे हो पाए, तीन प्रगतिशील हैं, 123 शुरु ही नहीं हो पाए। एक्सईएन पंचायती राज द्वारा 285 विकास कार्य कराए जाने थे। जिनमें से 106 पूरे हो पाए, 98 प्रगतिशील हैं, 81 शुरु ही नहीं हो पाए। ग्रामीण विकास नहीं होने से काफी मायूस हैं

बड़ा काम है तो अप्रूवल में फंस गया :

गांव में नाली की मरम्मत, गली की मरम्मत व अन्य कार्य के लिए ग्रामीण सरपंच के पास पहुंचते हैं, लेकिन अब उनके पास कार्यभार नहीं है। जिस वजह से सरपंच कार्य नहीं कर पाते। ग्रामीण सचिव व बीडीपीओ तक नहीं पहुंच पाते हैं। इसी का नतीजा है कि गांव में छोटे कार्य भी नहीं हो रहे हैं। वहीं डीडीपीओ शंकर लाल गोयल का कहना है कि यदि गांव में कही भी विकास कार्य को लेकर दिक्कत आ रही है, तो ग्रामीण या निवर्तमान सरपंच उनसे मिल सकते हैं।

नहीं हो रहे काम, ग्रामीण है घने परेशान :

निवर्तमान सरपंच परजेश कुमार गांव में गली नव निर्माण के लिए उखाड़ी गई थी। उसके बाद पंचायत भंग हो गई। तभी यह गली अधर में लटकी हुई है। इसके बारे में कई दफा बीडीपीओ से मिल चुके हैं, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है। फतेहपुर के निवर्तमान सरपंच छोटूराम ने कहा कि इसी दौरान पंचायत भंग करने की सूचना आ गई। पावर अधिकारियों के पास चल गई। यदि हाल का निर्माण हो जाता तो ग्रामीणों का काफी लाभ मिल जाता। वहीं बाकरपुर गांव में मुख्य सड़क से हनुमान मंदिर तक गली का निर्माण होना था। इसके लिए वार्षिक प्लान तैयार कर लिया गया था। उसके बाद पंचायत भंग हो गई।

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