छह साल पहले 15 अगस्त 2017 को नगर निगम अधिकारियों ने शहर को कैटल फ्री घोषित कर दिया। यानी कि शहर में कोई आवारा या लावारिश पशु नहीं है, लेकिन यह कैटल फ्री चंद दिन ही रहा। इन दिनों शहर में सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में गोवंश घूम रहा है। जिसे नगर निगम की टीमें पकड़कर गोशाला नहीं भेज पा रही। गाेशाला संचालकों ने नगर निगम टीमों से गोवंश को लेने से मना कर दिया। क्योंकि गोशाला में गोवंश को रखने की जगह नहीं बची। नगर निगम अधिकारी 2100 रुपए प्रति गोवंश के साथ चारा शुल्क देने को तैयार हैं।
इसके बाद भी गाेशाला संचालक गाेवंश नहीं ले रहे। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में गोवंश वाहन चालकों के लिए हादसे का कारण बन सकता है। हालांकि सड़कों पर घूम रहे गोवंश या अन्य पशुओं की वजह से हादसा होना आम बात है, लेकिन सर्दी में धुंध के दिनों में इसकी वजह से हादसे ज्यादा हो जाते हैं। हादसों से बचने के लिए लावारिस घूम रहे पशुओं के सिंग या सिर पर रिफ्लेक्टर टेप लगा दी जाती है, ताकि रात और धुंध में वाहन चालक को दूर से पता चल जाए कि सामने सड़क पर कोई पशु है। नगर निगम के चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर सुरेंद्र चोपड़ा का कहना है कि गाेशाला संचालक गोवंश को लेने से मना कर चुके हैं। नगर निगम शुल्क देने को भी तैयार है, लेकिन इसके बाद भी वे गाेवंश नहीं ले रहे। यह बड़ी समस्या है। उच्चाधिकारियों की नॉलेज में यह बात लाई गई है। उधर, दड़वा डेयरी कॉम्प्लेक्स एसोसिएशन प्रधान जितेंद्र लांबा का कहना है कि इसके जिम्मेदार निगम अधिकारी हैं। अगर डेयरी कांप्लेक्स में सुविधाएं मिले तो सभी डेयरियां वहां पर शिफ्ट हो जाएं। फिर कोई सड़कों पर गोवंश नहीं छोड़ेगा।