एक तरफ जहां देश में दीवाली की धूम है वहीं सफाई कर्मचारी एक सप्ताह से धरने पर बैठे है। सरकार ना तो सफाई कर्मचारियों की कुछ सुन रही है और ना ही सफाई कर्मचारी पीछे हटने को तैयार है। ऐसे में शहर में कचरे के ढेर भी बढ़ते जा रहे है। यदि जल्द ही हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो वह दिन दूर नहीं जब लोगों के घरों के सामने भी कचरे के ढेर नजर आएगें। 26 अक्टूबर तक का समय कर्मचारी यूनियन ने सरकार को दिया है। ऐसे में अगर 26 अक्टूबर को भी कोई बातचीत कर्मचारियों के साथ सरकार की नहीं होती है तो हड़ताल आगे भी बढ़ सकती है।
कचरे में लगने लगी आग
अगर हम करनाल शहर की बात करे तो करनाल के बिल्कुल बीचों बीच पुरानी सब्जी में मंडी डंपिंग प्वाइंट बना रखा है। पिछले 7 दिनो से वहां से कूड़े का उठान नही हो रहा है। जिसके चलते आज वहीं पर कचरे में आग लगा दी। आग लगे 1 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है। लेकिन इस आग को बुझाने के लिए कोई किसी भी अधिकारी ने अब तक पहल नहीं की । वहीं आग लगने से आसपास क्षेत्र में धुंआ ही धुंआ हो गया। लोगों को सांस लेने तक दिक्कत आ रही है।
19 अक्टूबर से हड़ताल पर गाए है कर्मचारीनगरपालिका कर्मचारी संघ के बैनर तले हड़ताल 19 अक्तूबर को शुरू हुई है और इसे 26 तक बढ़ाया गया है। बेपटरी हुई सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कर्मचारियों की जरूरत है लेकिन कर्मचारी अब हड़ताल पर है। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से शहर में कूड़े का ढेर लगने शुरू हो गए है। कचरे के ढेर से बदबू के कारण लोग नाक पर रुमाल रख चलने को मजबूर हैं। दिन प्रतिदिन कचरा बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में अगर हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो आने वाले 2 से 3 दिनों में स्थिति और गंभीर हो जाएगी।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को जायज भी मानती है और उन्हें लागू भी नहीं करती। वे सिर्फ इतना ही चाहते है कि कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए। कौशल रोजगार निगम को बंद किया जाए। फायर और नगरपालिका के जिन कर्मचारियों को कौशल रोजगार निगम में डाला गया है उनको विभागीय पे रोल पर भर्ती करना। फायरमैन और सीवर मैन का जोखिम भत्ता दिया जाए। सरकार फायर ऑपरेटरों की पोस्ट पर नई भर्ती करने पर लगी हुई है सरकार से मांग की गई है कि फायर विभाग के 1366 कर्मचारियों को इन पोस्टों पर मर्ज किया जाए। अन्य बची हुई पोस्टों पर सरकार भर्ती कर सकती है। यह हड़ताल छह अक्तूबर तक बढ़ा दी गई है। अगर इसके बाद भी सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो आगामी रूपरेखा तैयार की जाएगी।