एक गांव दो ट्राली व हर किसान दो गठरी भूसा दे तो हो सकता है गोशाओं में चारा संकट का समाधान

यमुनानगर : भूसे के दामों में रिकार्ड उछाल ने किसानों व गोशालाओं के प्रतिनिधियों की परेशानी बढ़ा दी है। जिले में चल रही गोशालाओं में भूसे का संकट गहराने लगा है। समस्या का जल्द ही समाधान न हुआ तो आगामी दिनों में परेशानी और भी बढ़ सकती है। क्योंकि गोशालाओं में भूसा नहीं है और महंगा होने के कारण दानी सज्जन भी गोशालाओं में भूसा नहीं पहुंचा रहे हैं। इस समस्या का त्वरित समाधान तलाशने के लिए दैनिक जागरण ने गोशालाओं के प्रतिनिधियों व गो सेवकों से चर्चा की। इस दौरान यही बात सामने आई कि यदि एक किसान दो गठरी व एक गांव दो ट्राली भूसा दान करे तो समस्या का समाधान हो सकता है। बता दें कि जिले में सात गोशालाएं में तीन हजार गोवंश हैं। जिनके लिए चारे का संकट बना हुआ है।

इन गोशालाओं के प्रतिनिधियों ने लिया भाग :

गोशाला सेवा समिति छछरौली से सुशील आर्य, आदिबद्री गोशाला से विनय स्वरूप ब्रह्मचारी, तेजबीर आर्य, हरी राम, शहजादवाला गोशाला से संत महेश्वरानंद सरस्वती, सतपाल गर्ग, जयपाल, गो संवर्धन न्यास से रोहित चौधरी, दीक्षित, गोसेवक सौरभ सिगला ने गोशालाओं में आ रहे चारा संकट पर अपने सुझाव रहे। साथ ही इस समस्या को लेकर आगामी दिनों प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने की भी रणनीति तैयार की है।

ऐसा हो तो बेहतर

गोशालाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि चार संकट से उबरने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति का होना जरूरी है। प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ आमजन को भी इस मुहिम का हिस्सा बनना पड़ेगा। लोगों के बीच जाना पड़ेगा। उनको गोशालाओं के हालातों से रूबरू करवाना होगा। गोशाला सेवा समिति छछरौली से सुशील आर्य ने कहा कि यदि एक किसान दो गठड़ी व एक गांव से दो ट्राली भूसे का इंतजाम किया जाए तो समस्या से निपटा जा सकता है। ऐसी व्यवस्था करना कोई बड़ी बात भी नहीं है। इसमें बीडीपीओ व ग्राम सचिवों की भूमिका अहम साबित हो सकती है। जिले में 475 ग्राम पंचायत है। सभी को सहयोग के लिए आगे आना चाहिए।
500-500 क्विंटल भूसे का इंतजाम करे सरकार
शहजादवाला गोशाला से संत महेश्वरानंद सरस्वती व आदिबद्री गोशाला से विनय स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि गोशालाओं में चारा संकट को देखते हुए सरकार संज्ञान ले। कम से कम 500 क्विंटल भूसा एक गोशाला में मुहैया करवाया जाए, ताकि गोवंशी पेट भर सकें। गोशालाओं को चलाना इन दिनों मुश्किल हो गया है। गोवंशियों का पेट कैसे भरा जाए, यह बड़ी चुनौती है। धर्म नहीं कहता कि गोवंशियों का पालन पोषण न किया जाए। उनका संरक्षण हमारा धर्म है। इस धर्म को हम मरते दम तक निभाएंगे। इसमें सरकार सहयोग दे तो मुश्किलें कम हो सकती हैं। गोसेवक सतपाल गर्ग ने कहा कि भूसा उपलब्ध करवाकर सरकार त्वरित समाधान करे। साथ ही भविष्य की दिक्कतों से निपटने के लिए गोचरान की जमीन को अवैध कब्जों से मुक्त करवाया जाए। सामाजिक संस्थाओं को भी चारे की दिक्कत को दूर करने के लिए आगे आने की जरूरत है। तभी दिक्कत खत्म होगी।

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