आज दो ट्रेनों की होगी आमने-सामने की टक्कर, रेल मंत्री भी रहेंगे सवार; जानें पूरा मामला

भारतीय रेल के लिए शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक होगा, जब दो ट्रेन की आमने-सामने की टक्कर कराई जाएगी। पर भरोसा होगा स्वदेशी ‘कवच’ का। भरोसा इस बात का कि चाहे कितनी ही विपरीत परिस्थिति क्यों न हो ‘कवच’ ट्रेन की टक्कर नहीं होने देगा। इस भरोसे को परखने के लिए एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे, तो दूसरी में रेलवे के तमाम वरिष्ठ अधिकारी।

रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। हैदराबाद के सिकंदराबाद में शुक्रवार को इसका परीक्षण किया जाएगा। अफसरों के मुताबिक यह तकनीक इतनी सटीक है कि अगर दो ट्रेन पूरी रफ्तार में आमने-सामने आ जाएं तो भी टक्कर नहीं होगी। लाल सिग्नल पार होते ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगा। साथ ही, पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेन बंद हो जाएंगी। पीछे से आने वाली ट्रेन को भी कवच बचा लेगा।

सिग्नल के 500 मीटर पहले ही ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे
इसके अलावा लाल सिग्नल पर कवच तकनीक युक्त ट्रेन को फुल स्पीड पर पार करने का परीक्षण किया जाएगा। ऐसा करने पर ट्रेन में सिग्नल के 500 मीटर पहले ही ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे और पांच किलोमीटर के दायरे में सभी चलती हुई ट्रेनें खुद ब खुद रुक जाएंगी। उन्होंने बताया कि आम बजट में 20,000 किलोमीटर रेल नेटवर्क, इंजन, रेलवे स्टेशनों पर कवच तकनीक लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-चेन्नई, दिल्ली-जम्मू, चेन्नई-कोलकाता आदि व्यस्त रेल नेटवर्क को कवर किया जाएगा। जोनल रेलवे में टेंडर प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी। रेलवे का लक्ष्य है कि आगामी 2024 तक कवच तकनीक लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा।

ड्राइवर से चूक होने पर कवच अलर्ट करेगा
कवच तकनीक ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट के सभी क्रियाकलापों जैसे ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। ड्राइवर से इसी प्रकार की चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। प्रतिक्रिया नहीं होने पर चलती ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे। इसके अलावा ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। कवच में आरएफआईडी डिवाइस ट्रेन के इंजन के भीतर, सिग्नल सिस्टम, रेलवे स्टेशन पर लगाए जाएंगे। कवच प्रणाली जीपीएस, रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि तकनीक से चलाई जाएगी।

दिल्ली सबसे पहले नवंबर पर
रेल अधिकारियों ने बताया कि इस उन्नत वर्जन से पहले दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, दिल्ली-चेन्नई, दिल्ली-जम्मू, चेन्नई-कोलकाता आदि व्यस्त रेल नेटवर्क को कवर किया जाएगा। जोनल रेलवे में टेंडर प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी।

लाल सिग्नल के 500 मीटर पहले ही ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे।
– पांच किलोमीटर के दायरे में सभी चलती हुई ट्रेन खुद ब खुद रुक जाएंगी।
– यह तकनीक ट्रेन के ब्रेक, हॉर्न, थ्रोटल हैंडल आदि की निगरानी खुद करेगी।
– तकनीक ड्राइवर से चूक होने पर ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगी।
– ड्राइवर ने सिस्टम को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो कवच ट्रेन को खुद रोक देगा।
– ड्राइवर अगर तय गति सीमा से ज्यादा स्पीड से ट्रेन चला रहा है तो ब्रेक लग जाएगा।
– आरएफआईडी डिवाइस (मशीन) ट्रेन के इंजन के भीतर, सिग्नल सिस्टम, स्टेशनों पर लगेगी।
– कवच प्रणाली जीपीएस और रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि तकनीक से चलाई जाएगी।

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