गोशाला की जमीन पर खेती करता था भाजपा नेता, तड़पकर मर गईं 150 से ज्यादा गायें

श्री अहिल्या माता गोशाला में 150 से अधिक गायों की मौत का मामला, कई के अस्थि-पंजर भी टुकड़ों में मिले पत्रिका की खबर पर जागा प्रशासन, जांच के लिए पहुंची टीमें अफसरों ने 67 गायों के अवशेष बरामद कर गड्ढे में गाड़ा धर्म और सेवा की आड़ में भ्रष्टाचार और अमानवीयता का चरम चर्चा है कि पौने दो करोड़ रुपये से ज्यादा का गोशाला को मिलता है अनुदान गोशाला को आवंटित जमीन में से 100 बीघा पर होती है खेती ——— बड़े सवाल: 1- सेवा के नाम पर जेबें भरने वाले बताएं कि गायों की मौत होने पर उन्हें खुले में कुत्तों के नोचने के लिए छोडऩा भी उनके लिए जायज है। 2- गोशाला में सड़ती गायों की लाशों की दुर्गंध भी अफसरों तक नहीं पहुंची। गोशाला के कर्ताधर्ता भी गायों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं कर सके।

मौतों के आंकड़ों में भी हेराफेरी अफसरों ने 67 गायों के अवशेष ढूंढ़े 150 से अधिक गायों की मौत का हो रहा जिक्र फरियादी ने 21 और 127 टैग ढूंढ़कर दिए चर्चा: लंबे समय से मर रही गायों की मौत का आंकड़ा सरकारी दावों की लीपापोती से कहीं ज्यादा है। ——– इंदौर. सांवेर विधानसभा क्षेत्र के खुड़ैल थाना क्षेत्र के ग्राम पेडमी के जीवदया मंडल ट्रस्ट द्वारा संचालित श्री अहिल्या माता गोशाला में 150 से अधिक गायों की मौत व अस्थि-पंजर मिलने के मामले में दूसरे दिन गुरुवार को अफसरों की नींद टूटी। जिस गोशाला में अमानवीयता चरम पर है, उसे प्रदेश की पहली आदर्श गोशाला घोषित किया गया था। पत्रिका ने गुरुवार के अंक में क्रूरता का भंडाफोड़ किया तो पशु चिकित्सा विभाग की टीम पहुंची और 67 गायों के जहां-तहां बिखरे अस्थि-पंजर और सड़े-गले शव जमा किए।

इन्हें जमीन में गाड़ा गया। फरियादी पक्ष ने 127 टैग और ढूंढ़कर पुलिस को सौंपे। 21 टैग बुधवार को दिए थे। साफ है कि गायों के नाम पर मिले अनुदान और जमीन की बंदरबांट चल रही है। ट्रस्ट को पौने दो करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान मिलने की चर्चा है। गोशाला की जमीन में से 100 बीघा जमीन स्थानीय सरपंच पति को बंटाई पर दे रखी है। यहां गेहूं-सोयाबीन, आलू-प्याज, लहसुन की खेती से भी कमाई की जा रही है। ट्रस्ट, अधिकारियों और कथित गोसेवकों की मिलीभगत से गायों को मरने पर भी सम्मान नहीं मिला, लेकिन कुछ लोग चांदी काटते रहे। पेडमी में गोशाला की गायों की जमीन पर खेती करने वाले राधेश्याम दांगी भाजपा नेता हैं। वे भाजपा की जिला कार्यसमिति के सदस्य होने के साथ सरपंच भी रहे हैं।

उनके मंत्री तुलसी सिलावट के साथ प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से अच्छे संबंध बताए जाते हैं। शव गिनने पहुंचे अफसरान और मौके की बदहाली – खुड़ैल तहसीलदार पल्लवी पुराणिक, नायब तहसीलदार अर्चना गुप्ता, खुड़ैल टीआइ अजय गुर्जर, पशु चिकित्सा विभाग के डॉ. डाबर, डॉ. अशोक बरेठिया, डॉ. जमदे व अन्य। – शव इतनी बुरी हालत में थे कि पोस्टमॉर्टम नहीं किया जा सकता था, इसलिए कुछ का विसरा फॉरेंसिक जांच के लिए लिया। – धार्मिक-सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने पुलिस पर गंभीर धारा नहीं लगाने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। ट्रस्ट के पदाधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग भी की। – तहसीलदार ने समझा-बुझाकर अंतिम संस्कार करवाया। बाद में एसडीएम प्रतुल सिन्हा व एसडीओपी अजय वाजपेयी भी पहुंचे।

रिपोर्ट लिखवाने वाले मनोज तिवारी, पार्षद सुधा चौधरी, गीता चौधरी भी पहुंचे। मनोज ने गायों के गले में बांधी जाने वाली 338 रस्सियां भी मिलने का दावा किया है। जमीन का खेल (पत्रिका लाइव) पत्रिका पड़ताल में पता चला कि करीब 160 साल पुरानी गोशाला के पास 150 एकड़ जमीन है। यहां 533 पशुओं के लिए 18 कर्मचारी हैं। गुरुवार सुबह अधिकांश कर्मचारी नहीं थे। गायों को तेज धूप में बांध रखा था। हरा चारा नहीं दिखा। कर्मचारी सुरेश शर्मा के मुताबिक, ग्रामीण बीमार पशु छोड़ जाते हैं जिनकी ‘सेवाÓ की जाती है। 5 को दिखाई नहीं देता, एक को कैंसर है, 4-5 के पैर टूटे हैं। इनका इलाज किया जाता है (मौके पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है)। महू के वेटरनरी कॉलेज ने गोशाला को गोद ले रखा है, वहां के दो इंटर्न के हमेशा यहां रहने का दावा किया गया (…लेकिन एक महिला कर्मचारी ने माना कि हफ्तों से कोई नहीं आया)। ट्रस्ट में शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी व समाजसेवी हैं।

दावा है कि सिंचित जमीन में खेती कराई जाती है। ट्रस्ट ने वर्ष 2012 से काफी जमीन बंटाई पर सरपंच के पति राधेश्याम दांगी को दे रखी है, उससे काफी आय होती है। कुआं और तालाब भी है। फसल अच्छी होने के बाद भी गायों की किसी ने सुध नहीं ली। जिम्मेदार और उनके ‘तर्कÓ – ट्रस्ट के मंत्री प्रकाशचंद्र सोढ़ानी: सिंचित जमीन को बंटाई पर दे रखा है, ताकि गायों का आहार तैयार हो सके। बंटाई में ज्यादा नहीं मिलता। गायों की सेवा के लिए कर्मचारी रखे हैं, जिन्हें वेतन देना पड़ता है। अनुदान ज्यादा नहीं है। हम तो सेवा कर रहे हैं। – ट्रस्ट के मैनेजर सुरेश गंजेले: 150 एकड़ जमीन है, जो बंटाई पर दी है। सरकार 20 रुपए प्रति गाय प्रतिदिन अनुदान देती है। पशु कॉलेज के इंटर्न आते थे, लेकिन कोरोना काल में आना बंद हो गया। एक डॉक्टर है। 13 फरवरी को नायब तहसीलदार ने निरीक्षण भी किया था। पहले खादी ग्रामोद्योग शव ले जाए जाते थे, लेकिन 4-5 साल से इनकार कर दिया। गोशाला से संबंधित शव तो कुछ ही हैं, बाकी तो ग्रामीण वहां फेंक गए। – सरपंच पति राधेश्याम दांगी: 100 बीघा जमीन पर खेती करता हूं।

आमदनी का 50 प्रतिशत गोशाला को देता हूं। कोई बंटाई पर नहीं लेता था, इसलिए मैंने लिया। – तहसीलदार पल्लवी पुराणिक: शवों को दफनाया है। गोशाला की जमीन और उसके उपयोग की जांच कर रहे हैं। कितना अनुदान मिला, यह भी देखा जा रहा है। —— कांग्रेस ने बनाया मुद्दा, कमलनाथ ने सरकार को घेरा गायों की मौत पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया कि भोपाल के बैरसिया में सैकड़ों गोमाताओं की मौत के बाद सरकार ने इंतजाम के बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन गोमाताओं की मौतें निरंतर जारी हैं। अब इंदौर जिले के पेडमी में सैकड़ों गोमाताओं के शवों की तस्वीरें सामने आई हैं। शव कंकाल बन चुके हैं, उन्हें जानवर नोचकर खा रहे हैं। हमारी सरकार ने गोमाता के संरक्षण व संवर्धन का काम तेजी से किया था। यह कैसी धर्म प्रेमी सरकार है, जो गोमाताओं को सुरक्षा देने में नाकारा साबित हुई है? शिवराज सरकार इनके संरक्षण व संवर्धन के लिए तत्काल कदम उठाए और दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। करोड़ों की जमीन, लाखों का अनुदान, बीमार गोवंश लाने वाले से भी लेते दान गोशाला में व्यवस्था के दावों की पोल खुलकर सामने आ गई है। वृद्ध-बीमार गोवंश सौंपने पर दान में राशि भी ली जाती है, लेकिन गायों के शव अन्य जानवरों के लिए खुले में फेंक दिए जाते हैं। मामले को दबाने की भी हर स्तर पर कोशिश हो रही है। पता चला है कि करीब एक महीने पहले नायब तहसीलदार अर्चना जोशी ने गोशाला का निरीक्षण किया, लेकिन यह घोर अत्याचार उन्हें नहीं दिखा और सब कुछ सही होना मान लिया।

अंधेरगर्दी: रिकॉर्ड में नहीं जमीन, अनुदान की जानकारी क्षेत्र की तहसीलदार व नायब तहसीलदार को पता ही नहीं है कि गोशाला के पास कितनी जमीन है। तहसीलदार पल्लवी पुराणिक कहती हैं-सुना है कि प्रति गाय 2100 रुपए प्रतिवर्ष अनुदान मिलता है, लेकिन इसे देखना पड़ेगा। ट्रस्ट से जमीन की जानकारी जरूर लेंगे। तहसीलदार ने ट्रस्ट के प्रमुख रामेश्वर असावा को फोन कर बुलाया, लेकिन वे शाम तक नहीं आए थे। 42 शव पर चमड़ी नहीं, 18 कंकाल हाथ लगाने से ही बिखर गए पशु चिकित्सा विभाग की टीम का कहना था कि 42 शव पर चमड़ी तक नहीं थी। 18 कांकल पुराने थे, जिन्हें हाथ लगाने पर ही हड्डियां बिखर रही थीं। पोस्टमॉर्टम जैसी स्थिति नहीं थी। लोगों ने भूख से मौत होने की आशंका जाहिर की है। लेकिन शव ऐसी हालत में थे कि मौत का कारण नहीं बताया जा सकता। गोशाला में डेढ़ सौ टन भूसा था। उधर, वृद्ध पशु लाने वाले की ट्रस्ट रसीद काटकर दान भी लेता था। किसी से डेढ़ तो किसी से दो हजार लिए जाते हैं। मैनेजर अशोक ने माना कि रसीद काटते हैं, लेकिन एक बार। ट्रस्ट का ऑडिट होता है। शवों के पास मिले इंश्योरेंस के टैग – ट्रस्ट में 257 गाय, 143 बछिया, 116 बछड़े, 6 नंदी, 11 बैल हैं।

– शवों के पास इंश्योरेंस के टैग भी मिले हैं। इससे साफ है कि गोवंश का इंश्योरेंस भी होता था। ट्रस्ट अध्यक्ष बोले ट्रस्ट अध्यक्ष रामेश्वर असावा ने कहा, गोशाला में मरणासन्न स्थिति में बुजुर्ग गायों को लाया जाता है। हम देखरेख करते हैं, पूरी टीम लगा रखी है। जो खेती होती है, वह अपर्याप्त है। हरा भूसा भी उगाते हैं। अधिकांश जमीन पथरीली है, ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता। सरकार ने 15 महीनों से अनुदान नहीं दिया, पिछले साल 25 लाख का चारा खरीदा। ट्रस्टी खुद पैसा लगाते है। 4 करोड़ में जमीन बेचकर 2 करोड़ की एफडी कराई थी, उसका ब्याज मिलता है। पहले खादी ग्रामोद्योग वाले शव ले जाते थे, अब नहीं ले जाते तो वन विभाग की जमीन पर रखवा देते हैं। यहीं प्रक्रिया चल रही थी, अब अधिकारियों से पूछेंगे कि आगे क्या प्रक्रिया अपनाएं।

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