बच्चों की परवरिश का मतलब जरूरतें पूरा करना नहीं बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार और अच्छी आदतें भी सिखानी पढ़ती हैं

                                              हर व्यक्ति प्रकृति ने किसी न किसी रूप भिन्न बनाया है शारीरिक संरचना, बुद्धि, व्यवहार l लेकिन यह फर्क जन्म के समय नहीं, भविष्य में जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है तब आहिस्ता- आहिस्ता  यह भिन्नताएं भी नजर आने लगती हैं lइसके मुख्य वजह है वंशानुगत , परिवारिक,  शैक्षणिक, सामाजिक ,हम- समूह का वातावरण व रुचियां l  उक्त बातें आज हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की महत्वाकांक्षी परियोजना बाल सलाह, परामर्श व कल्याण केंद्रों के राज्य नोडल अधिकारी व मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक, अनिल मलिक द्वारा बिलासपुर स्थित  न्यू हैप्पी पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत व पंजीकृत छात्र – छात्राओं के अभिभावकों, शिक्षकों व स्कूल फेसबुक से जुड़े सैकड़ों अन्य लोगों को मनोवैज्ञानिक प्रेरणा के माध्यम से अच्छी परवरिश के विषय पर अपने संबोधन में कही l  अनिल मलिक ने कहां की बच्चों की परवरिश का मतलब जरूरतें पूरा करना ही नहीं है बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार और अच्छी आदतें भी सिखानी पढ़ती हैं l माता-पिता की व्यवहारिक कार्यशैली अगर अत्याधिक प्रेरणादाई होगी तो नतीजे प्रभावकारी व निश्चिततौर से सकारात्मक होंगे l व्यवहार कुशल परवरिश कौशल सीखना होगा निरंतर सार्थक प्रयास करने होंगे और  समझना होगा कि बच्चों की परवरिश का मतलब यह कतई नहीं है कि हम क्या बेहतर सुविधाएं दे सकते हैं असल मतलब यह है कि हमें जो प्रकृति ने दिया है क्या हम पूरे ईमान के साथ बच्चों को दे रहे हैं और वह है आपका प्यार ,मुस्कुराहट ,चाहत, गुणवत्ता पूर्ण समय l बच्चों को प्रकृति प्रेम, पशु – पक्षी के प्रति दयाभाव, व्यवहारिक आचरण के तौर- तरीके, आत्म अनुशासन, आत्मनिर्भरता, आत्म-सुरक्षा, जीवन के असली मायने की जीवन एक संघर्ष है ,आत्म निर्णय, धैर्य इन सब की सीख देनी होगी l उन्होंने कहा कि बच्चे वही सीखते हैं जैसा जीवन वो जीते हैं आलोचना के माहौल में निंदा ,लड़ाई -झगड़े के माहौल में चिड़चिड़ापन व झगड़ालू पन ,सहनशीलता के वातावरण में धैर्य, प्रशंसा के माहौल में तारीफ ,प्रोत्साहन के माहौल में आत्मविश्वास ,समर्थन के माहौल में खुद को पसंद करना, सुरक्षा के माहौल में खुद पर भरोसा करना, सहमति और दोस्ती के माहौल में बच्चा आपसी रिश्तो में प्यार ढूंढना सीख लेता है l बच्चों के बेहतर व्यक्तित्व विकास हेतु माता-पिता को चाहिए कि उन्हें भिन्न वातावरण मे कुछ सीखने हेतु समय बिताने का अवसर जरूर दें l उन्होंने कहा कि कुदरत ने जो भूमिका आपको दी है उसके साथ-साथ बच्चों की बेहतर देखभाल व सुरक्षा की जरूरतों को समझते हुए एक दार्शनिक, दोस्त व परामर्शदाता की भूमिका भी खूबसूरती से आपको निभानी चाहिए l समय की जरूरत है आधुनिकता और प्रौद्योगिकी का दौर है इसलिए अतिरिक्त सावधानी और जागरूकता की आवश्यकता है l प्यार भरा ,स्नेह भरा, मित्रवत वातावरण बच्चों को अति आवश्यक रूप से प्रदान करें l तीन पीढ़ियों के मध्य जनरेशन ब्रिज बनाएं जनरेशन गैप को खत्म करें l सफलतापूर्वक वेबीनार के आयोजन के लिए समस्त स्कूल प्रबंधन समिति के साथ-साथ प्राचार्या मोनिका कश्यप व उनकी टीम की भूमिका अति सराहनीय रही l

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