हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी की ‘गिरफ्तारी’ को लेकर ‘हमेशा’ के लिए दे दी सुरक्षा, सुप्रीम कोर्ट हैरान

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की पीठ ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि या तो खुद मामले की सुनवाई करें या इसे किसी अन्य पीठ को सौंपें। सुप्रीम कोर्ट न कहा कि ये मामला अंतरिम आदेश पारित करने वाले को न सौंपे। शीर्ष अदालत ने सैनी को भविष्य के सभी मामलों में सुरक्षा देने के उच्च न्यायालय के आदेश को ‘अभूतपूर्व’ करार दिया।

पीठ ने कहा, “यह अभूतपूर्व आदेश है। भविष्य की कार्रवाई पर कैसे रोक लगाई जा सकती है? यह चौंकाने वाला है और हम तीनों (न्यायाधीशों) को लगता है कि यह अभूतपूर्व है। इसके लिए सुनवाई की आवश्यकता होगी।” 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को भविष्य के सभी मामलों में सुरक्षा देने के “अभूतपूर्व” आदेश पर “हैरानी” व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को दो सप्ताह के भीतर उनकी याचिका पर फैसला करने को कहा।

बता दें कि कल, उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित बलवंत सिंह मुल्तानी की हत्या के मामले को छोड़कर, सैनी के खिलाफ लंबित या दर्ज होने की संभावना वाले सभी मामलों में उनकी गिरफ्तारी पर रोक 20 अप्रैल तक बढ़ा दी।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करेंगे कि दो सप्ताह के भीतर याचिका का निपटारा किसी अन्य न्यायाधीश द्वारा किया जाए, न कि उसी न्यायाधीश द्वारा। हम मुख्य न्यायाधीश से इसे स्वयं या किसी अन्य न्यायाधीश को देने का अनुरोध करते हैं और हम इस मामले (एसएलपी) को (सुप्रीम) कोर्ट में लंबित रखेंगे।”

सैनी ने हाईकोर्ट में अपने खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की है। सैनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि सैनी के खिलाफ पंजाब सरकार की ओर से प्रयास किए गए हैं। उन्होंने आगे तर्क दिया कि सैनी की हत्या के प्रयास हुए थे और उनके खिलाफ आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे।
इस पर सीजेआई रमण ने कहा, “चाहे कुछ भी हो, आप यह कहते हुए आदेश नहीं दे सकते कि भविष्य के मामलों में भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता? यह क्या है?”

पंजाब के महाधिवक्ता डीएस पटवालिया ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा एक पूर्ण रोक, हर चीज के खिलाफ सुरक्षा है। 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी सैनी, जो देश के सबसे कम उम्र के डीजीपी थे, 36 साल की सेवा के बाद 2018 में सेवानिवृत्त हुए

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