होली से पहले महंगाई ने किया रंग मे भंग! फिर से बिगड़ेगा आपका kitchen Budget-जानिये कैसे

इस साल एक बार फिर होली से पहले ही महँगाई रंग में घुलने लगी है। रूस-यूक्रेन तनाव के कारण न केवल कच्चा तेल record ऊंचाई पर पहुच गई है,पर अब खाद्य तेल भी ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ने लगा है साथ ही आने वाले दिनों में महंगाई की मार और बढ़ सकती है।

देश की राजधानी दिल्ली में 15 दिनों में palm oil की कीमत 20 से 25 रुपये तक बढ़ गई है. सोया, सूरजमुखी और मूंगफली तेल की कीमतों में भी तेजी आई है। सब्जी बनाने वाले सरसों के तेल की कीमत पहले से ही 200 रुपये प्रति लीटर के करीब है। कुल मिला कर limited global supply के कारण खाना पकाने का तेल वैसे ही पहले से महंगा है और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने आग में घी का काम किया है।

अगर आपको पता हो तो देश में खपत होने वाले edible oil यानी खाद्य तेल का 65 % आयात करना पड़ता है और लगभग 60% आयातित तेल palm oil होता है। सारा palm oil मलेशिया और इंडोनेशिया से आयात किया जाता है और इस साल वहां भी limited supply है। जनवरी के दौरान मलेशिया में कच्चे palm oil का उत्पादन दिसंबर की तुलना में लगभग 14% और stock में 8% की कमी आई।
कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर मे edible oil की पहले से ही supply की कमी है और अब रूसी-यूक्रेन युद्ध ने इस कमी को और बढ़ा दिया है। देश में आयात होने वाले खाद्य तेल में सूरजमुखी तेल( sunflower oil) की हिस्सेदारी 14-15 % है और अधिकांश तेल Russia और Ukraine से आता है। अक्टूबर में समाप्त हुए तेल वर्ष 2020-21 के दौरान देश में 131.31 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया गया, जिसमें से लगभग 19 लाख टन sunflower oil था जिसमे 16 लाख टन से अधिक यूक्रेन और रूस से आया था। लेकिन अब रूस- युक्रेन युद्ध के कारण supply बाधित होने की संभावना बढ़ गई है।

आपको जानकर दुख होगा कि तेल के महंगे होने से न सिर्फ हमारे kitchen का budget बढ़ा है बल्कि इस गर्मियों मे ice cream खाना भी महंगा पड़ सकता है। देश में milk products के नाम पर बिकने वाले ज्यादातर ice cream वनस्पति तेल यानि vegetable oil से तैयार किए जाते हैं। क्योँकि अब तेल महंगा हो गया है, तो यह लाजमी है कि आइसक्रीम भी महंगी होगी, लेकिन सिर्फ आइसक्रीम ही क्यों। packed snacks और बाहर का खाना भी पहले से महंगा हो सकता है। मतलब हर तरफ से महंगाई हमारी किचन और हमारे स्वाद को हिलाकर रखेगी ।
इस समस्या का समाधान तभी मिल सकता है जब देश में पैदा होने वाले तिलहन (oilseeds) का उत्पादन बढ़ेगा । कृषि मंत्रालय ने इस साल 371 लाख टन oilseeds के Record production का अनुमान लगाया है, लेकिन रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद तेल आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत के पास पर्याप्त उपज नहीं है.भारत में अलग अलग कृषि परिस्थितियों के अनुसार वर्ष मे 9 तिलहन (oilseeds) फसलों को उगाने के लिए अनुकूल हैं, जिनमें 7 खाद्य तिलहन (मूंगफली, रेपसीड, सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम और नाइजर) और दो अखाद्य तिलहन (अरंडी और अलसी) शामिल हैं। )

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