कोरोना में 2 बार मरा, एक करोड़ का क्लेम लेने के लिए खुद का फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाया

जयपुर। राजस्थान के अलवर में एक करोड़ रुपये का बीमा क्लेम लेने के लालच में एक व्यक्ति ने खुद को दस्तावेजों में दो बार मार दिया। खुद को मरा हुआ साबित करने के लिए वह घर में दो साल तक कैद रहा। घर से बिल्कुल बाहर नहीं निकला। इस फर्जीवाड़े में उसकी पत्नी ने भी साथ दिया। यदि पत्नी से कोई पति के बारे में पूछता तो वह कहती कोरोना में उनका निधन हो गया, अब वे इस दुनिया में नहीं रहे। यह कारनामा अलवर के मनुमार्ग निवासी 56 वर्षीय नीरज शर्मा ने किया है।

कोरोना महामहारी की दूसरी लहर में जब मौतों का आंकड़ा ज्यादा बढ़ने लगा तो इसका फायदा उठाने के लिए नीरज ने खुद का मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवा लिया। अलवर नगर परिषद में उन दिनों मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने वालों की भीड़ थी। नीरज ने दो बार अपना मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवा लिया। हालांकि, वह दूसरी बार फर्जीवाड़ा करते समय पकड़ा गया। पकड़े जाने पर उसने पुलिस को बताया कि एक करोड़ रुपये लेने के चक्कर में फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवा रहा था।

आरोपित नीरज का बड़ा भाई कृष्णकांत पुलिस उप अधीक्षक और पिता चंद्रशेखर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पद से सेवानिवृत हुए हैं। पिता की कोरोना से मौत हुई तो उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र भी नीरज ने ही बनवाया था। पिता का मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने के बाद उसके दिमाग में खुद का फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने का सोच आया। मामला खुलने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया ।

ऐसे किया फर्जीवाड़ा

सबसे पहले नीरज ने ट्रांसपोर्ट नगर श्मशान घाट जाकर खुद का नाम लिखवाया। उस समय कई मौतें लगातार हो रही थी तो श्मशान घाट पर कार्यरत नगर परिषद के कर्मचारी ने ध्यान नहीं दिया और प्रमाण-पत्र बना दिया। उसने पहली बार 10 मई, 2020 को खुद का मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाया।

पुलिस की पूछताछ में नीरज ने बताया कि उन दिनों में कई लोगों के अंतिम संस्कार होता था। स्टाफ भी ज्यादा ध्यान नहीं देता था। जानकारी के अनुसार नीरज की पत्नी निजी कालेज में व्याख्याता है । नीरज ने 21अक्टूबर 2020 में आईसीआईसीआई और प्रधानमंत्री ज्योति जीवन बीमा योजना में 50-50 हजार रुपये की दो बीमा पालिसी कराई। पहली सालाना किस्त के 38-38 हजार रुपये जमा भी करवाए । 21 नवंबर, 2021 में उसने खुद का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया।

खुद को बख्तल की चौकी के पास अस्थाई निवासी बताया और कोरोना में मृत्यु होने पर ट्रांसपोर्ट नगर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार होना दिखाया। इस प्रमाण-पत्र के आधार पर उसकी पत्नी नेहा ने बीमा कंपनी से क्लेम मांग लिया। तय नियमों के अनुसार मृत्यु होने पर एक करोड़ रुपये मिलना था।

इस बीच कंपनी के प्रतिनिधि तस्दीक( वेरिफिकेशन)के लिए उसके घर पहुंचे, जहां उसका छोटा भाई संजय मिल गया। कंपनी के प्रतिनिधि ने नीरज की मौत के बारे में पूछा तो संजय ने ऐसा होने से इनकार कर दिया और कहा वह तो जीवित है। इस पर कंपनी को फर्जीवाड़े का पता चला और अलवर शहर कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज करवााया। जांच के बाद पुलिस ने सोमवार को नीरज को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस थाना अधिकारी रोहिताश ने बताया कि नीरज दो शादी कर चुका है। पहली पत्नी को उसने तलाक दिया। अब दूसरी पत्नी के साथ रहता है। नीरज एक और फर्जी प्रमाण-पत्र बनवा रहा था। उसी दौरान उसके फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया ।

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