ट्विन सिटी में एलईडी रिप्लेसमेंट की योजना फाइलों में, रिपेयर के लिए एजेंसी उपलब्ध करवाएगी सामान

 
ट्विन सिटी में एलईडी रिप्लेसमेंट की योजना फाइलों तक ही सीमित रह गई है। हालांकि निगम अधिकारी टेंडर प्रोसेस में होने की बात कह रहे हैं लेकिन इसमें अभी समय लग सकता है। फिलहाल निगम प्रशासन की ओर से पुरानी लाइटों को ही रिपेयर करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए बकायदा टेंडर काल किया गया है
यमुनानगर :

ट्विन सिटी में एलईडी रिप्लेसमेंट की योजना फाइलों तक ही सीमित रह गई है। हालांकि निगम अधिकारी टेंडर प्रोसेस में होने की बात कह रहे हैं, लेकिन इसमें अभी समय लग सकता है। फिलहाल निगम प्रशासन की ओर से पुरानी लाइटों को ही रिपेयर करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए बकायदा टेंडर काल किया गया है। इलेक्ट्रिकल मेटेरियल की सप्लाई एजेंसी के माध्यम से की जाएगी। रिपेयर का काम निगम के कर्मचारी करेंगे। इस पर करीब एक लाख रुपये खर्च होंगे। बता दें कि सामान उपलब्ध न होने के कारण खराब हुई स्ट्रीट लाइटों की रिपेयर समय पर नहीं हो पा रही है। उधर, निगम पार्षद व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। यमुनानगर-जगाधरी नगर निगम में 22 वार्ड हैं। फिलहाल करीब 25 हजार प्वाइंट्स हैं। इनकी संख्या बढ़कर 30 हजार तक होने की उम्मीद है।

यहां हैं लाइटें खराब :
शहर की विभिन्न कालोनियों के साथ-साथ मुख्य मार्गों पर भी स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। खासतौर पर नगर निगम में शामिल गांव व अनाधिकृत कालोनियों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। जो लाइट एक बार लगा दी जाती है, खराब होने की स्थिति में दोबारा उसकी सुध नहीं ली जाती। बाइपास चौक से लेकर शादीपुर पुल तक नेशनल हाइवे पर रात को अंधेरा होता है। यहां लाइटें तो दूर पोल भी गायब हो चुके हैं। इसी प्रकार पावर हाउस से लेकर हमीदा हेड तक करीब 48 लाइटें लगी हैं, लेकिन इनमें से केवल 4-5 लाइटें ही जलती हैं। बूड़िया में सरकारी स्कूल से किले की तरफ जाने वाली सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट खराब होने से अंधेरा रहता है। विष्णुनगर में लाइटें खराब पड़ी हैं। इसी प्रकार, अग्रसैन से लेकर बूड़िया चौक तक अधिकांश लाइटें खराब हैं। एसके रोड पर भी अधिकांश लाइटें खराब पड़ी हैं।

 

जन प्रतिनिधियों की ये शिकायत :

पार्षद निर्मल चौहान, पार्षद देवेंद्र सिंह व पार्षद हरमीन कौर का कहना है कि स्ट्रीट लाइट खराब होने पर उनकी सुध नहीं ली जाती। कुछ लाइट तो लगने के एक माह बाद ही खराब हो जाती है। नियमित रूप से देखरेख नहीं होती। पार्षदों की ओर शिकायत की जाने के बावजूद समय पर लाइटें ठीक नहीं होती। स्ट्रीट लाइटों की समय-समय पर चेकिग होनी जरूरी है। वार्ड वाइज चेकिग होनी चाहिए। लाइटों की क्वालिटी भी ठीक नहीं होती। यदि ठीक भी हो जाए तो अगले दिन ही जवाब दे जाती हैं। शिकायत किए जाने के बावजूद इनको ठीक नहीं किया जाता।

यह है यूएलबी की प्लानिग :

निगम एरिया में लगी सभी एलईडी लाइटों को कन्वर्ट करने के लिए टेंडर डीयूएलबी (डायरक्ट्रेट अर्बन लोकल बाडी) से ही लगाया जाएगा। इसकी प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। बताया जा रहा है कि फिलहाल रेट को लेकर पेंच फंसा हुआ है। पंचकुला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल व यमुनानगर को एक क्लस्टर बनाकर टेंडर लगाया जाएगा। सभी पांच जिलों में एक साथ ही टेंडर लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी। तमाम लाइटों को एलईडी में कन्वर्ट किया जाएगा। इसका बड़ा फायदा यह होगा कि अधिकारी अपने स्तर पर टेंडर प्रक्रिया को लटका कर नहीं रखेंगे। अपने चहेतों को टेंडर देने के आरोप नहीं लग पाएंगे। अधिकारिक स्तर पर हुई टेंडर प्रक्रिया में कई बार अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं। लाइटों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठते रहे हैं। हाउस की बैठक में जन प्रतिनिधि कई बार यह मुद्दा उठा चुके हैं। एक पार्षद व पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर ने स्ट्रीट लाइटों के टेंडर में अनियमितताओं की शिकायत विधानसभा की पिटीशन कमेटी को कर चुके हैं। कमेटी के हस्तक्षेप के बाद आठ वार्डों में तो व्यवस्था सुधरी है, लेकिन अन्य 14 वार्डों में स्थिति खराब है।

दो जोन में बांटा हुआ है निगम एरिया :

स्ट्रीट लाइटों से संबंधित 80-100 शिकायतें रोजाना आ रही हैं। मरम्मत के लिए नगर निगम एरिया को दो जोन में बांटा हुआ है। खराब हुई लाइट को 48 घंटे में ठीक कराने का प्रविधान है, जबकि दो-दो माह तक लाइटें ठीक नहीं कराई जाती। निगम पार्षद इस मुद्दे को लगातार हाउस की बैठकों में उठा रहे हैं। बावजूद इसके समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है।

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