नई दिल्ली। CRISIL रेटिंग रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे माल की लागत और वैश्विक स्तर पर उर्वरकों की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण भारत सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल 1.05 लाख करोड़ रुपये के बजट के मुकाबले इस वित्त वर्ष में 1.65 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर को छूने के करीब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार स्थिति से निपटने में सक्रिय रही है। पिछले दो वित्त वर्षों में, सरकार ने 1.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया है और बजट में तय सब्सिडी में वृद्धि की है। हालांकि, कच्चे माल की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण इस वित्तीय वर्ष में सब्सिडी में एक और हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है। ऐसा नहीं करने पर इस वित्त वर्ष के अंत तक सब्सिडी का बकाया 75,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा।
इससे पहले सरकार ने 19 अप्रैल को भरोसा दिलाया कि खरीफ फसलों की बुवाई के मौसम में उर्वरक की कमी नहीं होने दी जाएगी। सरकार ने कहा कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए गैर-यूरिया उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी की घोषणा जल्द ही करेगी। बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ जून से खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। एक सम्मेलन में उर्वरक सचिव आर के चतुर्वेदी ने कहा था कि सरकार द्वारा किसानों को सस्ती कीमत पर उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।