Driving License: ड्राइविंग लाइसेंस का नया नियम, अब DL के लिए ड्राइविंग टेस्ट ज़रूरी नहीं, देखिये नये नियम में क्या-क्या बदला

Driving License New Rules: केंद्र सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नियमों को अब बेहद आसान बना दिया है। दरअसल, सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर नये नियम बना दिये हैं। इन नये नियमों को बनाने के साथ ही कई पुराने नियमों को समाप्त कर दिया गया है। इन नये नियमों के तहत अब किसी भी व्यक्ति को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस यानि RTO के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

इतना ही नहीं सरकार ने जहाँ ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में तो फेरबदल किया है इसी के साथ ही ट्रेनिंग सेंटर्स को लेकर सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से कुछ गाइडलाइंस और शर्तें भी बना दी गयी हैं। इन शर्तों में ट्रेनिंग सेंटर्स के क्षेत्रफल से लेकर ट्रेनर की शिक्षा तक शामिल है। आइये जानते हैं सरकार के इस नए नियम के बारे में –

नये नियम के मुताबिक, अब आपको किसी तरह का कोई ड्राइविंग टेस्ट RTO जाकर देने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय ने इन नियमों को नोटिफाई भी कर दिया है और ये नये नियम दिसंबर से लागू हो चुके हैं। इस नए बदलाव से करोड़ों लोग जो अपने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए RTO की वेटिंग लिस्ट में पड़े हैं, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।

सरकार के नये नियमों के मुताबिक अब जिन भी व्यक्तियों को ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है उन्हें किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें वहीं पर टेस्ट को पास करना होगा। इस टेस्ट के आधार पर वो ट्रेनिंग स्कूल एप्लीकेंट्स को एक सर्टिफिकेट जारी करेगा। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर एप्लीकेंट का ड्राइविंग लाइसेंस बन जाएगा।

सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से ट्रेनिंग सेंटर्स को लेकर कुछ गाइडलाइंस और शर्तें बना दी गयी हैं। जिसमें ट्रेनिंग सेंटर्स के क्षेत्रफल से लेकर ट्रेनर की शिक्षा तक शामिल है। आइये आपको इन शर्तो और गाइडलाइन्स के बारे में बताते हैं-

1. दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर्स के पास कम से कम एक एकड़ जमीन हो, मध्यम और भारी यात्री माल वाहनों या ट्रेलरों के लिए सेंटर्स के लिए दो एकड़ जमीन की जरूरत होगी।

2. ड्राइविंग स्कूल के ट्रेनर को कम से कम इण्टरमीडिएट यानि 12वीं कक्षा पास होना ही चाहिए। इसी के साथ ही उसे कम से कम 5 वर्षों का का ड्राइविंग एक्सपीरियंस भी होना चाहिए।

3. ट्रेनर को यातायात नियमों की भी अच्छी तरह से जानकारी होनी चाहिए।

4. पाठ्यक्रम भी निर्धारित – हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए, पाठ्यक्रम की अवधि अधिकतम 4 हफ्ते होगी जो 29 घंटों तक चलेगी। इन ड्राइविंग सेंटर्स के पाठ्यक्रम को 2 हिस्सों में बांटा जाएगा जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों शामिल होंगे।

5. थ्योरी हिस्सा पूरे पाठ्यक्रम के 8 घंटे का होगा। जिसमें रोड शिष्टाचार, रोड रेज, ट्रैफिक शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता को समझना शामिल होगा। इसके अलावा प्रैक्टिकल पाठ्यक्रम में लोगों को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, चढ़ाई और डाउनहिल ड्राइविंग वगैरह पर गाड़ी चलाने के लिए सीखने में 21 घंटे खर्च करने होंगे।

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