हरियाणा के करनाल में डिफॉल्टर शराब ठेकेदार सरकारी खजाने का लगभग 28.33 करोड़ डकार गए। आबकारी एवं कराधान विभाग न तो किस्त जमा करवा पाया, न ही डिफॉल्टरों से कोई रिकवरी ही कर पाया और न ही कोई अन्य कार्रवाई कर सका। आलम यह रहा कि वर्ष 2019 में 9 फर्मों ने एक साथ मिलकर आबकारी एवं कराधान विभाग से शराब के जोन अलॉट तो करवा लिए,लेकिन अधिकारियों ने ठेकेदारों पर इतनी ज्यादा दरियादिली दिखाई कि वे ठेकेदारों से कोई भी किस्त जमा ही नहीं करवा पाए।
शराब ठेकेदार बेखौफ पूरे जिले में शराब का कारोबार करते रहे और विभाग गूंगे- बहरों की तरह देखता रहा। अब डिफॉल्टरों को नोटिस भेजने की कार्रवाई की जा रही है, ताकि अधिकारी स्वयं को सेफ रख सके। अगर कोई पूछे तो उनके पास कहने को हो कि हमने तो नोटिस भेजे थे। ऐसे में विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वर्ष-2019 में डिफाल्टर फर्मे, आखिर कहां हुई सेटिंग
एडवोकेट संजीव मंगलोरा ने बताया कि 2019 में 9 फर्मों ने शराब के लिए जोन अलॉट करवाए। यह अलॉटमेंट आसानी से नहीं होती, बल्कि इसके लिए लंबी चौड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ऐसे में जब जांच के बाद ही अलॉटमेंट की जाती है तो उसके बावजूद ठेकेदारों के पास कैसे करोड़ों का पैसा फंस गया। इतना ही नहीं, जब अलॉटमेंट हुई तो उसके एक साल तक कोई भी किस्त नहीं भरवाई गई।
यह सब अधिकारियों की ही मेहरबानी थी, जो ठेकेदार पूरे जिले में बेरोक टोक शराब बेचते रहे और विभाग के अधिकारी तमाशबीन बने रहे। जब तक अधिकारियों को अपनी किस्तों का होश आया तब तक देरी हो चुकी थी। अब सिर्फ विभाग इन डिफॉल्टरों को नोटिस भेज रहा है और अपनी पेमेंट निकलवाने के लिए गाड़ियों के टायर घिसने में लगा हुआ है, लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं आ रहा।
कौन-कौन सी फर्मे है डिफॉल्टर और किस पर कितना बकाया
विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, आबकारी एवं कराधान विभाग का कुल 28 करोड़ 33 लाख 60 हजार 679 रुपए पेंडिंग है। अगर बात की जाए फर्म वाइज, कि किस फर्म के पास कितना बकाया है, तो मुकेश पुत्र राम कुमार निवासी गांव अमीन पर 35,92,383 रुपए बकाया है।
इसके अलावा, नरेश कुमार पुत्र फुल सिंह गांव अनजथली 45 लाख 41 हजार 160 रुपए, रॉयल वाइन पार्टनर (जिसमें बलड़ी निवासी दीपक मैहला पुत्र बलबीर सिंह मैहला, करनाल सेक्टर-13 निवासी रवीन्द्र गुप्ता पुत्र ज्ञानदत्त गुप्ता, बलड़ी निवासी सत्यवान सिंह पुत्र मेहर सिंह, बलड़ी निवासी रामदयाल पुत्र मेहर सिंह साझेदार हैं ) पर 13 करोड़, 90 लाख 97 हजार 287 रुपए बकया है।
गांव किथाना निवासी जरनैल सिंह पुत्र महावीर सिंह पर 92 लाख 11 हजार 930 रुपए, बलड़ी गांव निवासी मुकेश कुमार पुत्र ज्ञान सिंह पर 4 करोड़ 38 लाख 24 हजार 221 रुपए, गांव जोशी निवासी नरेश एंड कंपनी पुत्र राजबीर पर 4 करोड़ 39 लाख 43 हजार 907 रुपए, जींद निवासी राजेश पुत्र सतबीर पर 2 करोड़ 34 लाख 31 हजार 998 रुपए, सोनीपत निवासी सुभाष पर 1 करोड़ 44 लाख 56 हजार 568 रुपए और निगदू निवासी सुरेश कुमार पर 12 लाख 61 हजार 225 रुपए बकाया रिकवरी है।
अब विभाग क्या कर रहा है
अब आबकारी एवं कराधान विभाग रिकवरी से ज्यादा खुद के बचाव का तरीका अख्तियार कर रहा है। डिफॉल्टरों को लगातार नोटिस लिखे जा रहे हैं और उनके ठिकानों पर भी जाकर दबिश दी जाती है ताकि डिफॉल्टर फर्म से रिकवरी की जा सके। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि डिफॉल्टरों को आबकारी विभाग की प्रक्रियाओं और कमियों के बारे में पता है, इसलिए तो विभाग रिकवरी नहीं कर पा रहा है और दर दर भटकने को मजबूर है।
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं DETC नीरज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला मेरे आने से पहले का है। अधिकारियों से इसे लेकर चर्चा की जा रही है। सभी डिफाल्टरों से रिकवरी करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है।