वैज्ञानिक मानसिकता अपना कर ही हो सकता है समूची मानवता का विकास : निशा राज

 

इंद्री(20/8/2024) :–(निर्मल संधू)  शहीद   उधम सिंह राजकीय महाविद्यालय, मटक माजरी करनाल के रसायन शास्त्र, भौतिकी एवं गणित विभाग के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय वैज्ञानिक मानसिकता दिवस के अवसर पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।

इस विचार संगोष्ठी का विषय “वैज्ञानिक मानसिकता एवं मानव कल्याण” रहा। इस संगोष्ठी में राजकीय महाविद्यालय, बरवाला की भौतिकी विज्ञान की प्राध्यापिका डॉ निशा राज ने बतौर मुख्य वक्ता शिरकत की और विद्यार्थियों के साथ संबंधित विषय पर अपने विचार सांझा किए।

महाविद्यालय की विज्ञान विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉक्टर दीपा ने अभिनंदन संबोधन में विधिवत रूप से मुख्य वक्ता का स्वागत किया एवं संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैज्ञानिक मानसिकता होने के लिए विज्ञान का विद्यार्थी होना आवश्यक नहीं है । कोई भी सामान्य व्यक्ति जो अपने आसपास की परिस्थितियों का विश्लेषण करने में सक्षम है, वह वास्तव में किसी वैज्ञानिक से कम नहीं। वैज्ञानिक मानसिकता अंतरराष्ट्रीय स्तर का विषय है और वर्तमान व व्यवहारिक परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता।

गणित विभाग के प्राध्यापक सुमित गोयल ने मुख्य वक्ता का विस्तृत परिचय देकर उन्हें श्रोताओं से रूबरू कराया। मुख्य वक्ता ने विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए बताया कि वैज्ञानिक मानसिकता एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है। उन्होंने प्रतिभागियों से विज्ञान के स्वरूप पर बात करते हुए कहा कि विज्ञान को किसी परिभाषा में बांधना संभव नहीं है । किसी भी सभ्य समाज के उत्थान में विज्ञान का विशेष योगदान रहा है । उन्होंने वैज्ञानिक मानसिकता के सभी आयामों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कई सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया एवं बताया कि वैज्ञानिक मानसिकता के लिए एक व्यक्ति को समीक्षक होना अति आवश्यक है। अगर किसी भी व्यक्ति में परिस्थितियों की समीक्षा करके किसी समस्या का हल ढूंढने का गुण विद्यमान है तो वह व्यक्ति विज्ञान की सही समझ रखता है । वह वास्तव में व्यवहारिक रुप से वैज्ञानिक होने का प्रबल हकदार है । जब तक किसी भी समाज के ऊपर रूढ़िवादिता का प्रभाव रहेगा तब तक उस समाज में वैज्ञानिक मानसिकता के संचार की परिकल्पना करना भी एक स्वप्न के समान है। क्योंकि विज्ञान झूठे तथ्यो पर कार्य नहीं करता इसलिए वैज्ञानिक मानसिकता रखने के लिए किसी को मनाना सरल कार्य नहीं है । वास्तव में वैज्ञानिक मानसिकता ही किसी व्यक्ति या समाज या राष्ट्र विशेष को सत्य का बोध कराने में सक्षम होती है।

कार्यक्रम के कन्वीनर प्रोफेसर गुलाब सिंह ने विद्यार्थियों व प्रतिभागियों को इस कार्यक्रम का हिस्सा बन बनने पर आभार व्यक्त प्रकट किया और वैज्ञानिक मानसिकता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की । उन्होंने विज्ञान को प्रकृति के आंकलन का स्टीक साधन बताया। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रोफेसर सुमित गोयल के द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर विभा गोयल, प्रोफेसर भगवान भारद्वाज, प्रोफेसर सुरेश कुमार, प्रोफेसर राजकुमार, प्रोफेसर लक्ष्मी बिबान व अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे ।

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