जश हत्याकांड में किसी को क्लीन चिट नहीं:करनाल SP बोले- अंजली ने अकेले हत्या की या कोई और भी शामिल? जांच जारी; जिसकी जैसी भूमिका, वैसी कार्रवाई

हरियाणा में करनाल के कमालपुर गांव का जश हत्याकांड अभी भी अनसुलझी पहेली की तरह है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार 5 साल के बच्चे ने किसी का क्या बिगाड़ा था जो उसकी हत्या कर दी गई?

वहीं हत्या के आरोप में गिरफ्तार अंजली और हिरासत में लिए गए राजेश व उसके परिवार काे लेकर भी चर्चा हो रही है। अंजली द्वारा हत्या किए जाने के पीछे की वजहों को लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे ही कुछ सवालों पर करनाल के SP गंगाराम पुनिया से बात की गई। पढ़िए…

सवाल: जश हत्याकांड की जांच में अब तक क्या रहा?

एसपी : 5 अप्रैल को सूचना मिली थी कि गांव कमालपुर  में एक 4-5 साल का बच्चा लापता हो गया है। ग्रामीणों ने एक बाबा पर शक जताया, एक सीसीटीवी फुटेज भी दिखा। थाना इंद्री में गुमशुदगी का केस दर्ज किया गया। बाबा को ढूंढकर पूछताछ की गई। बाबा की भूमिका न मिलने पर ग्रामीणों की मदद से गांव में सर्च अभियान चलाया गया।

6 अप्रैल को सुबह बच्चे का शव एक पशुबाड़े की टीन से बनी छत पर मिला। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया गया। संदिग्धों से पूछताछ की गई। कई लोगों के बयान कलमबद्ध करवाए गए। मौके से साक्ष्यों, पूछताछ व अन्य तथ्यों के आधार पर अंजली को हिरासत में लिया और उससे पूछताछ के बाद गिरफ्तार करके 3 दिन का रिमांड लिया गया।

सवाल : पूछताछ में अंजली ने क्या बताया?

एसपी : पुलिस ने अंजली को रिमांड पर ले रखा है। पूछताछ के दौरान काफी चीजें सामने आई हैं। जांच के बीच कुछ बातों को अभी सामने नहीं ला सकते, लेकिन अंजली ने कबूल किया है कि उसने ही जश को मारा है।

सवाल : क्या अकेली अंजली हत्या कर सकती है?

एसपी : 5 वर्षीय बच्चे की हत्या बड़े दुर्भाग्य की बात है। यह बड़ा संवेदनशील मामला था। पुलिस के साथ-साथ पूरे जिले के लोग इस मामले का जल्दी पटाक्षेप चाहते थे। जो असली दोषी, है वह पकड़ा जाए। हम भी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जांच तथ्यों पर आधारित हो, निष्पक्ष हो। साथ ही यह भी चाह रहे थे कि कोई गलत इसमें न फंसे। परिजन लगातार मेरे संपर्क हैं। परिजनों को भी समझाया है कि इस मामले में जो भी शामिल हैं। उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी।

सवाल : क्या हत्या को तंत्र विद्या से जोड़कर देखा जा रहा था?

एसपी : इस संबंध में किसी भी प्रकार की भ्रामिक सूचना न फैलाएं। मेडिकल बोर्ड के पोस्टमार्टम से आई रिपोर्ट में शरीर पर गर्दन के पास एक ही चोट का निशान सामने आया है। इससे पुष्टि हुई है कि गला दबाकर हत्या हुई है। सोशल मीडिया पर कई गलत खबरों को प्रसारित किया गया है।

सवाल : हत्या कैसे की गई?

एसपी : मोबाइल चार्जर की तार से हत्या की गई है। चार्जर की तार को पुलिस ने बरामद कर लिया है। साथ ही उस तार को लेकर डॉक्टर का ओपिनियन भी लिया है। जिससे डॉक्टर भी सहमत हुए हैं कि इससे गला दबाकर मारना संभव है।

सवाल : ताऊ राजेश के घर से जश की चप्पल मिलने की सूचना क्या ठीक है?

एसपी : अंजली से पूछताछ के बाद कुछ सामान को बरामद किया गया है। अंजली ने ही जश की चप्पल को बरामद करवाया है। जिसकी बरामदगी के दौरान दो स्वतंत्र गवाहों को साथ में रखा था और रिकवरी के दौरान वीडियोग्राफी भी करवाई है।

सवाल: राजेश की पत्नी ने शव फेंकने की बात को माना था?

एसपी : पुलिस ने अभी तक किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी है। इस मामले में किस व्यक्ति की कितनी भूमिका है और उस पर कौन-सी धारा लगेगी। इसको सुनिश्चित किया जा रहा है। जल्दी ही अन्य जानकारियों को बाहर लाया जाएगा।

सवाल : अंजली के घर पर करीब 18 घंटे जश रहा, क्या इस दौरान किसी ने नहीं देखा?

एसपी : पूछताछ में कई साक्ष्य सामने आए हैं। जो फिल्म है, उसे एसएफएल की टीम के साथ दोबारा से क्रिएट करेंगे। अभी और भी साक्ष्य सामने आएंगे। फिजिकली जो साक्ष्य पुलिस ने वहां से जुटाए हैं, उनको लैब में भिजवाया है। उनकी रिपोर्ट भी जल्दी उपलब्ध करवानी की मांग की है, ताकि जो जानकारी या सूचनाएं हमारे पास आई हैं, हम उनका सत्यापन कर सकें।

सवाल : समाज दोबारा से रोष प्रदर्शन, जाम के लिए कर सकता है?

एसपी : हाईवे जाम करना किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान नहीं है। जाम से लोगों को आने-जाने में भी दिक्कत आती है। पुलिस की मेहनत दूसरी जगह लगने की बजाए, जाम के दौरान खराब हो जाती है। मैं फिर से आश्वस्त करना चाहूंगा कि करनाल पुलिस मामले की गहराई तक पहुंचेगी। इस मामले को अंजाम तक पहुंचाएगी।

सवाल : जनता को क्या संदेश दोगे?

एसपी : सभी लोगों से अपील है कि पुलिस पर विश्वास रखें। जांच एजेंसी पर भरोसा रखें। पुलिस को साक्ष्य जुटाने होते हैं। उन्हें लैब में भी भेजना होता है। साथ ही किसी निर्दोष के साथ कुछ गलत न हो, यह भी ध्यान रखना होता है। हम प्रयास कर रहे हैं कि जांच वैज्ञानिक और विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित हो, ताकि कल कोर्ट में किसी प्रकार के मामले की कमी न रहे। किसी भी भ्रामिक जानकारी पर विश्वास न करें और न ही फैलाएं। पुलिस जो जानकारी दे रही है। उस पर विश्वास करें।

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