शामली से अम्बाला तक बनने वाले ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का कार्य कंपनी ने वीरवार को गांव घिलौर में शुरू किया। इसकी सूचना पर गांव घिलौर व धानुपुरा के किसानों ने इसका विरोध करते हुए कार्य को रुकवा दिया। गुस्साए किसानों ने अपनी मांगों को लेकर भाकियू के ब्लॉक प्रधान जोगिंदर सिली के नेतृत्व में सरकार विरोधी नारेबाजी की।
किसान मोनू धानुपुरा, जोगिंदर सिलीकलां, अशोक धानुपुरा, जयसिंह सिलीकलां व सुरेशपाल राणा माजरी ने बताया कि सरकार ने शामली से अम्बाला तक बनने वाले एक्सप्रेस-वे के लिए 8 से 10 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया है। सरकार उन्हें भूमि अधिग्रहण को लेकर मात्र 60 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दे रही है।
जबकि उनकी भूमि का बाजार का भाव एक करोड़ रुपए प्रति एकड़ है। वहीं सरकार ने अभी तक गांव के पास बनने वाली सड़क को लेकर गांव के लोगों के लिए सड़क तक जाने का रास्ता बनाने का कोई प्रावधान नहीं किया। सड़क के साथ पानी की निकासी व सड़क के दोनों ओर किसानों के खेतों को लेकर पानी की व्यवस्था का प्रावधान नहीं है।
किसानों की चेतावनी: मांगें पूरी होने तक एक्सप्रेस-वे का काम शुरू नहीं होने देंगे
किसानों ने बताया कि उनके ट्यूबवेलों को अधिग्रहण करने पर उन्हें मात्र एक लाख रुपए दिया जा रहा है। जबकि उन्हें नया ट्यूबवेल लगवाने में 3 से 4 लाख रुपए खर्चने पड़ेंगे। उन्होंने मांग की कि भूमि अधिग्रहण होने के बाद किसानों की ओर से दूसरी जगह भूमि खरीदने पर अष्टाम ड्यूटी में छूट दी जाए। जब तक उनकी मांगें सरकार पूरी नहीं करती, तब तक वह हाइवे बनने का कार्य शुरू नहीं होने देंगे।
ये है ग्रीन फील्ड हाइवे का पूरा प्रोजेक्ट
अम्बाला से शामली तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे बनना है। यह यमुनानगर में करीब 16 किलोमीटर एरिया से गुजरेगा। इस पर कुल 3660 करोड़ रुपए खर्च होंगे। अम्बाला जिले में 58 गांवों से, यमुनानगर के करीब 12 गांवों से होते हुए शामली में 24 गांवों से होकर गुजरेगा। ग्रीन फील्ड हाईवे के लिए रादौर, धौलरा, घिलौर, धानुपुरा, बुबका, बापौली, पोटली, बापा, ठसका खादर, खुर्दबन, सिली खुर्द गांव की जमीन एक्वायर की गई है ।