स्वचछता सर्वेक्षण से पहले कचरे का प्रबंधन नहीं सका निगम, फीडबैक में भी उलझ रहे सक्षम

 यमुनानगर :

स्वच्छता सर्वेक्षण- 2022 को लेकर मिनिस्ट्री आफ हाउसिग एंड अर्बन अफेयर्स की टीम सर्वेक्षण कर लौट गई है। टीम ने नगर निगम प्रशासन से दूरी बनाई रखी। किसी अधिकारी व कर्मचारी को सर्वेक्षण की कार्रवाई में शामिल नहीं किया गया। यह सर्वेक्षण पूरी तरह गोपनीय रहा। टीम ने यमुनानगर-जगाधरी नगर निगम के साथ-साथ रादौर व साढौरा में भी स्वच्छता को लेकर निरीक्षण किया। इस दौरान सफाई, कचरा उठान, कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति जांचने के अलावा लोगों का फीडबैक भी लिया है। हालांकि अब सर्वेक्षण 2022 का परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा कि शहर इस बार किस रेंकिग पर रहे हैं, लेकिन फिलहाल अधिकारी बेहतरी की बात कर रहे हैं। उधर, सर्वेक्षण से पहले निगम अधिकारी कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था नहीं कर पाए। निगम स्तर पर रहे ये प्रयास :

स्वच्छता सर्वेक्षण- 2022 में बेहतर रेंकिग लिए निगम प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किए गए। इस दौरान सफाई व नियमित रूप से कचरा उठान के साथ-साथ होटलों व बेंक्वेट हालों से निकल रहे कचरे के प्रबंधन पर भी विशेष रूप से जोर दिया गया। साथ ही शहरवासियों को भी कचरा प्रबंधन के लिए जागरूक किया गया। उनको बताया कि गया कि किस तरह हम ठोस व तरल कचरे का प्रबंधन कर इसका सदुपयोग कर सकते हैं। शिक्षण संस्थानों में बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया गया। पूर्व में यह रही स्थिति :

वर्ष 2018 में हुए सर्वेक्षण राष्ट्रीय स्तर पर 343 रैंक और राज्य में 18वां स्थान मिला। वर्ष 2019 में कुछ सुधार हुआ राष्ट्रीय स्तर सर्वेक्षण में 210 वां व राज्य में नौवां स्थान हासिल किया था। 2020 में रैंकिग में सुधार हुआ और 147 वां स्थान मिला, वहीं राज्य में नौंवें मिला। वर्ष-2021 में हालत फिर से बिगड़ गए। पिछड़ कर सर्वेक्षण में 243 वें स्थान पर पहुंच गए। इस तरह हैं अंक निर्धारित :

स्वच्छ सर्वेक्षण (कुल अंक- 7500)

सर्विस लेवल प्रोग्रेस (डिजिटल ट्रैकिग और सफाई मित्र सुरक्षा) – 3000 अंक

सर्टिफिकेशन (वाटर प्लस और थ्री स्टार रेटिग)- 2250 अंक

सिटीजन वाइस और महामारी की तैयारी- 2250 अंक यह है कमजोर पहलु :

यमुनानगर-जगाधरी से हर दिन 250-300 टन कचरा निकल रहा है। इसका प्रबंधन सर्वेक्षण का मुख्य आधार है। क्योंकि पूर्व भी सर्वेक्षण में पिछड़ने का कारण कचरे का प्रबंधन न होना ही रहा है। हालांकि डोर टू डोर कचरा उठान, छंटनी व प्रबंधन के लिए टेंडर लगा हुआ है, लेकिन फिलहाल प्रक्रिया में है। इन दिनों कचरा प्रबंधन नहीं हो रहा है। जिसके चलते जगह-जगह कचरे के ढेर हैं। कचरा उठाने की बजाय कई बार इसमें आग लगा दी जाती है। हमीदा हेड पर लगे कचरे के ढेर अब राख हो चुके हैं। स्वच्छता संबंधी फीडबैक में भी सक्षम उलझ रहे हैं। क्योंकि एप काम नहीं कर रहा है।

आउटर के वार्डों में स्थिति अधिक खराब :

जोन नंबर दो में अधिकांश वार्ड आउटर के हैं। वार्ड नंबर 12, 18, 21 व 22 ऐसे वार्ड हैं जिनका काफी एरिया रादौर विधानसभा क्षेत्र में आता है। इसके अलावा नगर निगम शामिल 42 गांवों में कचरा उठान की समस्या पहले से ही गंभीर है। इन क्षेत्रों में कई-कई दिनों तक कर्मचारी कचरा उठाने के लिए नहीं पहुंचते। ऐसे में जगह-जगह कचरे का ढेर लगे हुए हैं। पार्षद लगातार इसकी शिकायत कर रहे हैं। हाउस की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है।

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