यूक्रेन के खारकीव में एमबीबीएस करने गए मारवा खुर्द के भाई-बहन अपने घर लौट आए जिस पर परिवार में खुशी का माहौल है। माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है। दोनों भाई-बहन को एमबीबीएस बीच में छूटने का गम है, लेकिन यूक्रेन में युद्ध के हालात के बीच से निकल अपने देश व गांव में व घर लौटने पर खुशी भी कम नहीं है।मारवा खुर्द के शिक्षक सियाराम की बेटी सुनीर व बेटा सुनीत यूक्रेन के खारकीव में वर्ष 2017 से एमबीबीएस कर रहे थे। दोनों ने घर लौटने पर बताया कि 24 फरवरी रात पूरी जिंदगी नहीं भुला पाएंगे। सुनीर ने बताया कि जब वह अपनी लोकेशन खारकीव से पैदल चलकर वांगेजल रेलवे स्टेशन जा रही थी, तब उसी के सामने एक मिसाइल के ब्लास्ट में भारतीय स्टूडेंट की मौत हुई जिसे देख काफी घबरा गई।उस समय रेलवे स्टेशन के पास 3 ब्लास्ट हुए थे। उसके भाई सुनीत ने उसकी हिम्मत बंधाई। वे पोलैंड पहुंचे, जहां वॉलंटियर्स ने काफी मदद की। उनके रहने-खाने की व्यवस्था की। पिता सियाराम व माता उषाकमल ने कहा कि उन्होंने बच्चों की पढ़ाई पर 70 लाख रुपए खर्च कर दिए। उनके भविष्य की चिंता हो रही है लेकिन सबसे बड़ी खुशी बच्चे युद्ध के हालात के बीच से वापस घर लौट आए हैं।
छह दिन बंकर में रहे, दिन रात सुनते थे मिसाइल के धमाके।
दोनों भाई-बहन ने बताया कि उन्हें 24 फरवरी को कॉलेज प्रबंधन ने अपना सामान समेट कर बंकर्स में आने के निर्देश दिए थे। वे अपने कुछ सामान के साथ छह दिन तक बंकर में रहे, जहां काफी दिक्कतें हुईं। एक समय तो परिजनों से मिलने की आस भी टूट गई थी। दिन-रात मिसाइल के धमाके सुनकर दिल बैठ गया था। उन्होंने भारत सरकार का उनकी मदद करने के लिए आभार जताया। करीब नौ घंटे की उड़ान के बाद दिल्ली पहुंचने पर उनका मीनाक्षी लिखी ने स्वागत कर परिजनों को सौंपा।