हरियाणा में 370 भ्रष्ट पटवारियों की लीक हुई लिस्ट के मामले में सरकार ने जांच शुरू कर दी है। सरकार के निर्देश पर इस केस में एक्टिव हुई सीआईडी ने जिलों से भी इनपुट मांगा है। संभावना है कि राजस्व विभाग की ओर से जिलों के डीसी को जारी लिस्ट जिला मुख्यालय से ही लीक हुई है। इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म (व्हाट्सएप) पर भी खुफिया एजेंसियां नजर रखे हुए हैं। कुछ ग्रुपों को अभी तक की जांच में चिह्नित भी किया गया है।
हालांकि सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि लीक हुई लिस्ट को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जाएगा। सरकार का शुरू से जीरो टॉलरेंस पर फोकस रहा है, और आगे भी इसी एजेंडे को लेकर काम किया जाएगा।
वहीं हरियाणा सरकार की लिस्ट को लेकर दिए गए आदेश पर जिलों में भ्रष्ट पटवारियों की रिपोर्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस लिस्ट में सरकार की ओर से जिलों के डीसी से 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

तीन में लिस्ट वापस लेने की सरकार को चेतावनी
इधर हरियाणा में 370 भ्रष्ट पटवारियों की लिस्ट पर बवाल मचा हुआ है। लिस्ट के विरोध में पटवारी सड़कों पर उतर आए हैं। सोमवार को पटवारियों ने पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर प्रदर्शन किया। उन्होंने अतिरिक्त सर्कलों का काम तक छोड़ दिया। वहीं सरकार को चेतावनी दी है कि 3 दिन में यह लिस्ट वापस लें वर्ना सभी पटवारी-कानूनगो हड़ताल पर चले जाएंगे।
सूबे के पटवारी हाथों में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अपने प्रदर्शन के दौरान उन्होंने एक दिन काम भी नहीं किया, जिससे लोगों को काफी परेशानी भी उठानी पड़ी।
लिस्ट में 2 पटवारी ऐसे, जिनकी मौत हो चुकी
पटवार एसोसिएशन के प्रदेश प्रधान जयवीर चहल ने दावा किया कि इस लिस्ट में 2 पटवारी ऐसे शामिल किए गए हैं, जिनकी दो-ढाई साल पहले मौत हो चुकी है। इनमें कैथल के गुहला हलके में तैनात दिखाए गए पटवारी ओमप्रकाश की हार्ट अटैक से मौत हुई थी।
ऐसे में अब उनका नाम किस आधार पर लिस्ट में दिखाया गया है। साथ ही कहा गया है कि ओमप्रकाश द्वारा नकल, इंतकाल, निशानदेही में सीधे पैसे लिए जाते हैं। यही नहीं ओमप्रकाश ने मलूक सिंह खराल को सहायक भी रखा हुआ है।
जिनकी मौत हो चुकी वह कैसे रिश्वत ले सकते हैं
एसोसिएशन ने दावा किया है कि गुरुग्राम जिले में सिंधरावली हलके के देवेंद्र पटवारी का नाम भी लिस्ट में है। एसोसिएशन का दावा है कि देवेंद्र की 2024 से पहले ही हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। इसके बावजूद देवेंद्र के बारे में लिखा गया है कि वह इंतकाल के 4 से 5 हजार रुपए और फर्द-नक्शा बनाने के 200 से 500 रुपए लेता है। देवेंद्र ने टीकली निवासी आकाश को सहायक रखा हुआ है।
राज्य प्रधान जयवीर चहल ने कहा कि जिन लोगों की मौत हो चुकी है, वह कैसे रिश्वत ले रहे हैं। इससे साफ है कि विभाग के अनजान लोगों ने यह लिस्ट तैयार कर दी। इसके आधार पर पटवारियों को भ्रष्ट कैसे कह सकते हैं।
सीएम सैनी भी कह चुके जांच होगी
रविवार (19 जनवरी) को कैथल पहुंचे मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा था- हमारी सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है। लिस्ट कहां से जारी हुई है और कैसे हुई है इसकी जांच सरकार कर रही है। हमें ईमानदारी से लोगों की अपेक्षा पर ऊपर खरा उतरना चाहिए।जब सीएम से पूछा गया कि क्या पटवारियों पर कार्रवाई होगी या नहीं तो सीएम ने इसके जवाब में कहा था- देखिए वो आगे का विषय है। अभी जांच जारी है।
पटवारी बोले- रिश्वत नहीं, सरकारी फीस लेते हैं
सरकार की लिस्ट लीक होने के बाद पटवारियों ने कहा कि इससे उनका अपमान किय गया है। उन्होंने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर मांग पत्र सौंपकर लिस्ट वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि जिसे रिश्वत बताया जा रहा है, वह सरकारी फीस है, जिसे चालान के जरिए सरकार के खाते में जमा कराया जाता है।उन्होंने कहा कि सरकार का ज्यादातर काम ऑनलाइन हो चुका है। ऐसे में उन पर बेवजह भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। इस दौरान पटवारियों ने काले बिल्ले भी लगाए। पटवारियों ने कहा कि जिन जिलों में पटवार भवन नहीं बने, वहां का रिकॉर्ड निजी कार्यालय से उठाकर तहसील में ले जाएंगे। जगह मिले या नहीं, यह देखना सरकार का काम है।
प्रधान बोले- मानसिक प्रताड़ना का केस करेंगे
पटवार यूनियन के प्रदेश प्रधान जयवीर चहल ने कहा कि इस बारे में फीडबैक लिया जा रहा है कि यह किस एजेंसी के जरिए लिस्ट तैयार कराई गई। इस लिस्ट की विश्वसनीयता क्या है। इस बारे में लीगल एक्सपर्ट की राय ले रहे हैं ताकि इस मामले में मानसिक प्रताड़ना का केस किया जा सके।