मानसून की पहली झमाझम बारिश, शहर में जलभराव ने दावों की खोली पोल

यमुनानगर। मानसून की पहली बारिश ने लोगों को गर्मी व उमस से बड़ी राहत दी। जिले में वीरवार सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक औसतन 77 एमएम बारिश हुई। सबसे ज्यादा बारिश बिलासपुर में 130 एमएम और सबसे कम प्रतापनगर में 43 एमएम हुई। राहत के साथ-साथ बारिश आफत भी लेकर आई। शहर की कई कॉलोनियों में कुछ ही घंटे में जलभराव हो गया। लोगों के घरों व दुकानों में पानी घुसने से उनका सामान खराब हो गया। मानसून की पहली बारिश ने नगर निगम के पानी निकासी के लिए किए जा रहे दावों की पोल दी।

पहली बारिश में यह हाल है तो पूरे मानसून सीजन में क्या होगा, यह सोच कर लोग परेशान हो रहे हैं। बिलासपुर में कपालमोचन रोड पर पानी की निकासी न होने से डॉ. भीमराव आंबेडकर भवन की करीब 150 फीट लंबी दीवार धराशायी हो गई। गनीमत यह रही कि दीवार के पास से गुजर रहे लोग इसकी चपेट में आने से बाल-बाल बच गए। पहाड़ों व यमुना नदी के कैचमेंट एरिया में हो रही बारिश से यमुना नदी का जलस्तर भी बढ़ गया। बुधवार शाम चार बजे यमुना में 4,475 क्यूसेक पानी था जो रात एक बजे बढ़कर 6,929 क्यूसेक हो गया। हालांकि वीरवार शाम जलस्तर घट कर 6,210 क्यूसेक रह गया।

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इन तीन कॉलोनियों में सबसे ज्यादा दिक्कत

शहर में सबसे ज्यादा पानी यमुनानगर की विजय कॉलोनी, जसवंत कॉलोनी व लाजपत नगर में भरा। कॉलोनियों के विकास जैन, कुलदीप वर्मा, राजेश, सुरिंद्र, महिंद्र, चंद्रशेखर, सोनू, जॉनी, टोनी, ऋषिपाल वर्मा, सुनील जैन, दीपक यादव, मोहित सिंह व नितेश शर्मा ने बताया कि एक तरफ पुराना हाईवे और दूसरी तरफ बस स्टैंड रोड से उनकी कॉलोनियां तीन से चार फीट नीचे हैं। एक दशक से बारिश में जलभराव झेलते आ रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी इस समस्या का स्थायी समाधान के बजाय नाले-नालियों की सफाई कर खानापूर्ति कर रहे हैं। इस बार पुराना हाईवे पर डाली स्टॉर्म वाटर ड्रेन ने भी दिक्कत बढ़ा दी है, क्योंकि चांदपुर बाईपास के पास पाइप दबाकर सड़क रिपेयर नहीं की। जिसकी सारी मिट्टी बारिश की पानी से बहकर कॉलोनियों में आ गई। घरों में पानी न घुसे इसके लिए दरवाजे पर ईंटें लगा रखी हैं। इनके ऊपर से भी पानी अंदर घुस गया।

आजाद नगर में कई घंटे रहा जलभराव

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आजाद नगर में जीरो नंबर गली से लगती चौधरी कॉलोनी, शांति कॉलोनी, दशमेश कॉलोनियों में पानी भर गया। आजाद नगर की 13 गलियों में पानी निकासी के लिए नालियों को अंडर ग्राउंड कर पाइप डाली गई है। इनमें जो पाइप डाले गए हैं वे बहुत छोटे हैं। इनमें पानी निकासी के लिए जगह भी बहुत कम छोड़ी गई। जिस कारण पानी उतरने में कई घंटे लग गए। प्रोफेसर कॉलोनी में जिमखाना क्लब के साथ लगते एरिया में भी पानी भर गया। नेहरू पार्क रोड पर यमुना क्लब के सामने पानी जमा होने से लोग परेशान रहे।Monsoon's first drizzle of rain, waterlogging in the city exposed the claims

नाले साफ होते तो यह दिक्कत न आती

नालों की सफाई सालभर कराने की बजाय नगर निगम ने मानसून से ठीक पहले मई के आखिरी सप्ताह में शुरू कराई। इसमें भी खानापूर्ति हुई। गत एक-डेढ़ साल में जो नाले बने हैं वह ऊंचे हैं या फिर पानी निकासी का ठीक प्रबंध नहीं है। दमकल केंद्र यमुनानगर व जगाधरी में दो कंट्रोल रूम बना गए हैं ताकि लोग इनमें फोन करके पानी निकासी के लिए पंपसेट मंगवा सकें, परंतु इसके बारे में ज्यादा प्रचार-प्रसार ही नहीं किया गया। वहीं जगाधरी में रेलवे रोड, रामलीला ग्राउंड रोड, बुड़िया रोड पर भी पानी भरा रहा। इसी तरह गांधीनगर अंडरपास नाले की चौड़ाई कम होने से सारा पानी कुलदीप नगर में ही भर गया।

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