रूस-यूक्रेन युद्ध से शेयर बाजार में उथल-पुथल ने निवेशकों के सेंटीमेंट को बिगड़ दिया है, इस कारण कंपनियां कम से कम 77,000 करोड़ रुपए के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) को टाल सकती हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि कमजोर आईपीओ परिदृश्य वित्तीय पहली तिमाही के अंत तक जारी रहने की संभावना है क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हर कीमत पर अपनी योजना को आगे बढ़ा रहे हैं और इससे बाजार का सेंटीमेंट बुरी तरह प्रभवित होगा।
और लम्बी हो सकती है सूची
कैपिटल मार्केट रिसर्चर प्राइम डेटाबेस के अनुसार, बाजार नियामक की मंजूरी मिलने के बाद 51 कंपनियों को आईपीओ के जरिए 77,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी थी। इसमें भारतीय जीवन बीमा निगम सहित ऐसी 44 कंपनियां शामिल नहीं हैं, जिन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ अपने आईपीओ दस्तावेज दाखिल किए हैं, लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली है। भारत में स्टॉक के बाद और रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर भारी नुकसान की सूचना के बाद कंपनियों ने लेनदेन पर विराम लगा दिया है। युद्ध ने एनर्जी की कीमतों में उछाल और भारत की मुद्रा को रिकॉर्ड निचले स्तर पर भेज दिया है।
क्रूड पर निर्भरता के कारण बाजार अस्थिर
विशेषज्ञों ने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और आयातित कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता के कारण इक्विटी बाजारों में अस्थिरता जारी रहने की संभावना है। प्राइम डेटाबेस केमैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया के मुताबिक, ऐतिहासिक रूप से, प्राथमिक बाजार में गतिविधि तभी देखी जाती है जब द्वितीयक बाजार में तेजी होती है। जबकि अक्टूबर से बाजार में उतार-चढ़ाव रहा है, पिछले कुछ महीनों में असाधारण मात्रा में अस्थिरता देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप 2022 को सिर्फ तीन आईपीओ लॉन्च किए गए हैं। इस साल अदानी विल्मर, वेदांत फैशन और एजीएस के आईपीओ आये और उनसे लगभग 7,429 करोड़ रुपए जुटाए गए।
2013 जैसी है स्थिति
2013 की स्थिति की तुलना करते हुए, हल्दिया ने कहा कि सेबी की मंजूरी वाले 80,000 करोड़ रुपये के आईपीओ या शेयर बिक्री के कागजात दाखिल करने वालों को उस साल बाजार की खराब स्थिति के कारण झटका लगा। इस साल सार्वजनिक होने वाले कुछ बड़े आईपीओ गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड, एपीआई होल्डिंग्स लिमिटेड, डेल्हीवरी, एमक्योर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया लिमिटेड और पेन्ना सीमेंट हैं। इन कंपनियों की योजना करीब 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की है। एलआईसी का मेगा आईपीओ, जिसके मार्च के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद थी, अब अगले वित्त वर्ष में होने की संभावना है, लेकिन सरकार ने अंतिम निर्णय नहीं लिया है। सरकार भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी में 5% हिस्सेदारी बेचकर 75,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है।
बड़े संस्थागत निवेशक आशंकित
डीएसके लीगल के एसोसिएट पार्टनर गौरव मिस्त्री का कहना है कि एलआईसी के आईपीओ के आकार को देखते हुए निश्चित रूप से उसे विदेशी निवेशकों के समर्थन की आवश्यकता होगी। फिलहाल इनकी जमकर बिक्री हो रही है। अभी घरेलू निवेशक ही बाजार का समर्थन कर रहे हैं। बड़े संस्थागत निवेशक आशंकित है, और इसका दूसरा पहलू यह है कि कंपनियों के पास कम मूल्यांकन पर पूंजी जुटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जोखिम से बचने वाले निवेशकों के साथ कम मूल्यांकन प्राथमिक बाजारों में मंदी के लिए एक आदर्श नुस्खा है।