हरियाणा के जिले करनाल में रहने वाले युवक मनीष का शव आज उसके घर पहुंचा। यहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। मनीष की 15 दिन पहले अमेरिका में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उसके शव को भारत लाने के लिए उसके परिवार के पास पैसे नहीं थे, इसलिए हरियाणा सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी।
हालांकि, सरकार से सहायता नहीं मिली, इसलिए परिवार 20 लाख रुपए कर्ज कर उसके शव को भारत लेकर आया है। यहां भी मनीष का शव शनिवार की सुबह 11 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा था, लेकिन कुछ कागजी कार्रवाई अधूरी होने के कारण युवक का शव आज प्रशासन ने परिवार को सौंपा है।
युवक के परिवार का कहना है कि अब उनके ऊपर 58 लाख रुपए का कर्जा हो गया है, क्योंकि मनीष को अमेरिका भेजने में भी उन्होंने 38 लाख रुपए खर्च किए थे। इसके लिए उन्होंने जमीन गिरवी रखकर कर्ज लिया था।
करनाल से अमेरिका पहुंचने और वहां से शव लाने की पूरी कहानी…
4 भाई-बहन थे, पिता की मौत पहले ही हो चुकी गांव कुंजपुरा के निवासी मनीष के बड़े भाई कर्ण देव सिंह ने बताया है, ‘हमारे पिता की मौत करीब 23 साल पहले ही एक हादसे में हो गई थी। तब से चार भाई-बहनों का मां ने ही पालन-पोषण किया है। हम 2 भाई और 2 बहन थे, जिनमें से अब मनीष की मौत हो गई है। वहीं, केवल सबसे बड़ी बहन की शादी हो चुकी है, जो कनाडा में रहती है।’
कर्ण देव का कहना है कि मां शिमला देवी ने मेहनत-मजदूरी कर बच्चों को पाला है। मैं भी मजदूरी करता हूं, लेकिन मनीष को अच्छे पैसे कमाने के लिए हमने अमेरिका भेजा था। उसके लिए हमने 38 लाख रुपए खर्च किए थे।

डंकी के जरिए अमेरिका गया था मनीष मृतक के भाई का कहना है कि मनीष करीब 15 महीने पहले अप्रैल 2023 में डंकी के जरिए अमेरिका गया था। इसके लिए हमने अपनी जमीन गिरवी रखकर कर्जा लिया था। इसके बाद उसे अमेरिका पहुंचने में करीब एक महीना लगा। इसके बाद वह अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में पहुंचा और वहीं किराए के कमरे में रहने लगा।
वहां पहले से ही गांव के कुछ युवक रहते थे। उन्होंने मनीष की मदद की और उसे एक स्टोर में नौकरी मिल गई। कुछ समय बाद मनीष ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया और टैक्सी चलाने लगा। इसके बाद 29 दिसंबर की रात को फोन पर सूचना मिली कि मनीष की मौत हो गई है।

हार्ट अटैक से हुई मौत कर्ण देव ने बताया है कि मनीष के एक दोस्त ने फोन पर सूचना दी थी कि मनीष की अचानक तबीयत खराब हो गई थी। उसके सीने में तेज दर्ज उठा था। इसके बाद उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद से ही परिवार में मातम का माहौल था। लोग घर आकर परिजनों को सांत्वना दे रहे थे। इसी दौरान इंद्री के विधायक रामकुमार कश्यप भी घर आए। परिजनों ने उनसे गुहार लगाई कि हरियाणा सरकार तक बात पहुंचाकर मनीष का शव गांव लाने में मदद करें।

शव लाने के लिए पैसे नहीं थे, कर्जा लेना पड़ा परिजनों का कहना था कि मनीष का शव भारत लाने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। सरकार उनकी आर्थिक सहायता करेगी तो उसका शव यहां आ सकता है। इस पर विधायक ने उनकी बात को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। हालांकि, कर्ण देव का कहना है कि सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिली।
कर्ण देव ने बताया है कि जब सरकार से मदद नहीं मिली तो परिवार ने मनीष का शव लाने के लिए रिश्तेदारों से 20 लाख रुपए कर्जा लिया। इसके बाद शव लाने की व्यवस्था की गई और बीते शनिवार को ही मनीष का शव दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच गया था।

कागजी कार्रवाई में एक दिन गुजरा इसके बाद यहां कागजी कार्रवाई में एक दिन निकल गया, और आज रविवार की सुबह ही मनीष का शव परिवार को सौंपा गया। सुबह करीब 9 बजे शव कुंजपुरा पहुंचा तो परिजन बिलख कर रोने लगे। मां और बहन का बुरा हाल था। लोग उन्हें संभालने में लगे थे, लेकिन फिर भी मां 2 बार बेहोश हो गई।
इसके बाद करीब 11 बजे मनीष का शव अंतिम संस्कार के लिए गांव के श्मशान घाट लाया गया, जहां कर्ण देव ने उसकी चिता को मुखाग्नि दी।

12वीं तक पढ़ा था मनीष कर्ण देव का कहना है कि मनीष 12वीं तक पढ़ा था। उसके अमेरिका जाकर काम करने से परिवार को 38 लाख का कर्जा उतरने की आस थी। अब उसी लाश लाने के लिए भी 20 लाख रुपए कर्जा करना पड़ गया। घर में शादी के लायक एक बहन है और कर्ण देव मजदूरी करता है। परिवार को चिंता है कि उनका आगे का गुजारा कैसे होगा?
