Cryptocurrency: भारत की क्रिप्टो पॉलिसी अभी तक स्पष्ट नहीं है और देखा जा सकता है कि सरकार व रेगुलेटरी बॉडी भारतीय रुपये (INR) के ज़रिए इन वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में निवेश को मुश्किल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते निवेशकों के लिए अब क्रिप्टोकरेंसी में निवेश मुश्किल होता जा रहा है. भारत में कई क्रिप्टो एक्सचेंजों ने नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) के साथ किसी भी टकराव से बचने के लिए UPI के ज़रिए भारतीय रुपयों से क्रिप्टोकरेंसी की खरीदी के सारे विकल्प बंद कर दिए हैं. NPCI ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा था कि उसे भारत में किसी भी क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा यूपीआई के जरिए लेन-देन किए जाने की कोई जानकारी नहीं हैं. इस बयान के बाद ही, पेमेंट वॉलेट मोबिक्विक ने एक्सचेंजों पर क्रिप्टो ट्रेडिंग को सपोर्ट करना बंद कर दिया. पहले, यूजर्स यूपीआई के ज़रिए मोबिक्विक वॉलेट में पैसा जमा कर सकते थे और फिर एक्सचेंजों पर क्रिप्टो खरीदने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते थे.
वहीं, CoinSwitch Kuber जैसे एक्सचेंजों ने NEFT, RTGS और IMPS के ज़रिए UPI और बैंक ट्रांसफर सहित सभी डिपॉजिट सर्विसेज पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है. वहीं, अन्य प्लेटफॉर्म पर अभी भी भारतीय रुपये के ज़रिए क्रिप्टो खरीदने के लिए नेटबैंकिंग का विकल्प दिख रहा है, लेकिन ऐसे बैंक बहुत कम हैं. असल में, बड़े बैंक क्रिप्टो एक्सचेंजों को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके अपने ग्राहकों के लिए क्रिप्टो खरीदना मुश्किल हो गया है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रिप्टो को खरीदने या निवेश करने में रुचि रखने वाले बैंक ग्राहकों को वित्तीय सेवाओं से दूर रखना बहुत गलत है,खासकर जब क्रिप्टो को देश में अवैध घोषित नहीं किया गया है. EarthID में रिसर्च एंड स्ट्रेटेजी के VP शरत चंद्र ने कहा, “क्रिप्टो निवेशकों को फाइनेंशियल सर्विसेज से दूर करना बहुत गलत है. UPI और IMPS का विकल्प नहीं होने का मतलब है कि भारतीय रुपये को क्रिप्टो में कनवर्ट करने का कोई आसान रास्ता नहीं है.”
क्रिप्टो एक्सचेंजों पर IMPS, NEFT, UPI और RTGS सेवाओं को अस्थायी तौर पर बंद करने के बाद अब इन वर्चुअल एसेट्स में निवेश का एकमात्र विकल्प पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रांजेक्शन है, जो कि ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से हो सकता है. डिजिटल एसेट्स LLP के डायरेक्टर तुषार चौधरी ने FE ऑनलाइन को बताया, “P2P ट्रांजेक्शन अभी भी ओपन हैं. जब आरबीआई ने साल 2018 में क्रिप्टो के सभी बैंकिंग चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया था, तब भी एक्सचेंज P2P के माध्यम से चल रहे थे.
क्या P2P के ज़रिए क्रिप्टो में निवेश सुरक्षित है?
क्रिप्टो एक्सपर्ट्स का कहना है कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में P2P ट्रांजैक्शन उतना ही सुरक्षित है जितना कि दो इंसानों के बीच कोई ट्रांजैक्शन. चौधरी ने कहा, “क्रिप्टो में ऑथेंटिसिटी की कोई समस्या नहीं है, कोई भी आपको नकली बिटकॉइन नहीं बेच सकता है क्योंकि ब्लॉकचेन पर लेनदेन होता है. तो इसमें उतना ही जोखिम है जितना कि दो व्यक्तियों के बीच किसी भी प्रोडक्ट या किसी भी सर्विस के ऑफ़लाइन लेनदेन में होता है. इसमें कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं है.”
चंद्र का कहना है, “P2P एक्सचेंजों पर पीयर टू पीयर क्रिप्टो ट्रेडिंग एक एस्क्रो वॉलेट (Escrow Wallet) द्वारा संचालित होती है जहां क्रिप्टो निवेशकों को अपना फंड भेजने की जरूरत होती है. डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर मल्टी-क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट सपोर्ट ऑफर किया जाता है, जिससे निवेशकों के लिए ट्रेड करना आसान हो जाता है.” उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान रखना अहम है कि डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजों पर क्रिप्टो टू क्रिप्टो ट्रेडिंग में एस्क्रो वॉलेट शामिल नहीं है.
क्या सरकार P2P को भी बैन कर सकती है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार के लिए P2P ट्रांजेक्शन पर प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा क्योंकि किसी भी सर्विस को खरीदना या बेचना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है. चौधरी ने आगे कहा, “सरकार कुछ भी और सब कुछ पर बैन लगा सकती है… अगर सरकार कल कहती है कि कोई भी व्यक्ति P2P के माध्यम से क्रिप्टो खरीद या बेच नहीं सकता है तो इस मामले को लेकर अदालत या न्यायपालिका का रूख किया जा सकता है, क्योंकि किसी सर्विस को खरीदना या बेचना हमारा संवैधानिक अधिकार है.”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देती है, लेकिन उन्हें अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्रिप्टो को लेकर उनकी पॉलिसी क्या है. आरबीआई कहता रहा है कि क्रिप्टो का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा लेकिन आज तक यह साबित नहीं हो पाया है कि क्रिप्टो का देश के फाइनेंशियल मार्केट और करेंसी पर प्रतिकूल प्रभाव कैसे पड़ रहा है.”