हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद अहम रहे दक्षिणी हरियाणा में इस बार टिकट को लेकर पुराने भाजपाई पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं। ये वही पुराने भाजपाई हैं, जिनकी टिकट पिछले विधानसभा चुनाव में कट गई थी।
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा में दो खेमे हैं। इनमें से एक केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह हैं तो दूसरा उनका विरोधी खेमा है, जिसमें पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, पर्यटन निगम के चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव के अलावा सिंचाई मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव शामिल हैं।
बादशाहपुर सीट पर राव नरबीर सिंह सक्रिय
लोकसभा चुनाव के दौरान गुरुग्राम सीट पर प्रचार से दूरी बनाए रखने वाले पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह विधानसभा चुनाव से पहले गुरुग्राम की बादशाहपुर सीट पर पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं। नरबीर 2014 में इसी सीट से चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री बने थे।
लेकिन 2019 में राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के चलते उनका टिकट काट दिया गया। नरबीर ने बगावती तेवर अपनाने की बजाय चुप रहना ही बेहतर समझा, लेकिन अब बदले हालात में 5 साल बाद नरबीर फिर से बादशाहपुर से टिकट के लिए मजबूत दावेदारी कर रहे हैं।
कापड़ीवास का रेवाड़ी सीट पर दावा
इसी तरह 2014 में रेवाड़ी सीट से जीत दर्ज करने वाले रणधीर सिंह कापड़ीवास दोबारा भाजपा में आ गए हैं। राव इंद्रजीत सिंह की ही वजह से कापड़ीवास की भी 2019 के चुनाव में टिकट कट गई थी। लेकिन कापड़ीवास ने खुली बगावत की और निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ा, जिसकी वजह से राव इंद्रजीत सिंह समर्थित सुनील मुसेपुर को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के बाद पार्टी से सस्पेंड किए कापड़ीवास अब दोबारा बीजेपी में आ चुके हैं। वे रेवाड़ी सीट पर दावेदारी ठोक रहे हैं।
उन्हीं की तरह पर्यटन निगम के चेयरमैन डा. अरविंद यादव ने भी रेवाड़ी से चुनाव लड़ने की भागदौड़ शुरू कर दी है। अरविंद को भी राव इंद्रजीत सिंह विरोधी खेमे में गिना जाता है। ठीक इसी तरह की स्थित महेंद्रगढ़ जिले की अटेली विधानसभा सीट पर है। यहां पिछले चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के कारण पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव की 2019 में टिकट कट गई। लेकिन इस बार संतोष यादव फिर से मजबूती के साथ दावेदारी पेश कर रही हैं।
तीनों ही जिलों में राव विरोधी खेमा इस बार एकजुट होकर चुनावी तैयारी में लगा है। वहीं दूसरी तरफ राव इंद्रजीत सिंह को अगर पिछले चुनाव की तरह पार्टी ने फ्री हेंड दिया तो विरोधी खेमे के हाथ इस बार भी मायूसी हाथ लग सकती है।
अहीरवाल में राव इंद्रजीत का खुद का प्रभाव
बता दें कि अहीरवाल इलाके के तीन जिलों महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुरुग्राम की 11 विधानसभा सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के परिवार का खुद का प्रभाव रहा है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के बाद 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राव इंद्रजीत सिंह को टिकट वितरण में पूरी तवज्जों दी, जिसकी वजह से राव अपने कुछ समर्थकों को जिताने तो कुछ निपटाने में पूरी तरह कामयाब भी रहे।
पिछले चुनाव में तो राव इंद्रजीत सिंह को एक तरह से फ्री हेंड दिया गया। गुरुग्राम और रेवाड़ी जिले की तीन-तीन और महेंद्रगढ़ जिले की दो सीटों पर टिकट का वितरण राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से हुआ था। अगर इस बार भी ऐसा ही हुआ तो फिर राव के विरोधी नेताओं को टिकट से वंचित रहना पड़ सकता है। हालांकि इस बार बदली परिस्थितियों के कारण कुछ बदलाव भी देखने को मिल सकता है।
लोकसभा चुनाव में एक्टिव नहीं दिखा विरोधी खेमा
दरअसल, जून माह में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुरुग्राम सीट पर राव इंद्रजीत सिंह को लगातार तीसरी बार कैंडिडेट घोषित किया। लेकिन गुटबाजी के कारण राव इंद्रजीत सिंह के विरोधी तमाम नेता प्रचार से पूरी तरह दूर रहे। इनमें राव नरबीर सिंह, सुधा यादव, रणधीर कापड़ीवास, डा. अरविंद यादव सहित अन्य नेता उस समय तो मंच पर जरूर दिखाई दिए, जब किसी बड़े नेता की रैली या जनसभा थी, लेकिन धरातल पर कोई नेता नहीं दिखाई दिया।
राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी में ही अलग-थलग पड़ते दिखाई दिए। जिसका असर चुनावी परिणाम आने के बाद भी दिखाई दिया। पिछले 2 चुनाव में ढाई और 3 लाख वोटों से जीत दर्ज करने वाले राव इंद्रजीत सिंह की जीत का मार्जिन इस बार महज 70 हजार पर आकर टिक गया। जीत दर्ज करने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने एक तरह से तंज भी कसा और कह दिया कि ये जीत पार्टी से ज्यादा मेरे समर्थकों की मेहनत से हुई है।