हालांकि, संसद के चालू बजट सत्र में संशोधन पेश करने के प्रयास हैं, लेकिन बदलावों के लिए कैबिनेट की मंजूरी में कुछ समय लग सकता है। संभावना है कि संशोधन मानसून सत्र तक हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि, सरकार का उद्देश्य सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन सुनिश्चित करना है।
अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में एक बैंक हो जाएगा प्राइवेटाइजेशन
सूत्रों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन (bank privatization 2022) पर तेजी से काम चल रहा है। इसकी रूपरेखा तय करने के लिए इंटर-मंत्रालयी परामर्श अंतिम चरण में है। विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैंकों के नामों को अंतिम रूप देगा। अंतिम प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा ताकि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में कम से कम एक बैंक का निजीकरण पूरा हो सके।
बता दें कि चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। प्राइवेटाइजेशन के लिए NITI Aayog ने दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट भी किया है, हालांकि, उनका नाम नहीं लिया गया है। सीतारमण ने यह भी कहा था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा। हालांकि, महामारी के कारण इन योजना में देरी हो गई। सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण में शामिल किसी भी नियामक मुद्दे को दूर करने के लिए आईडीबीआई बैंक पर निवेशकों की प्रतिक्रिया का भी इंतजार कर रही है। नियामक मुद्दों को हल करने के लिए बैंकिंग नियामक के साथ परामर्श जारी है।
मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि सचिवों के एक पैनल ने निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था। विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद पैनल द्वारा सेलेक्ट नामों को अप्रूवल के लिए मंत्रियों के समूह के समक्ष रखा जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दो उम्मीदवार हैं जिन्हें निजीकरण के पक्ष में किया गया है, हालांकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र को भी अगले साल या बाद में इस अभ्यास के पक्ष में मिला है।