इस मौके का फायदा उठाने के लिए भारतीय रिफाइनर ऐसे रियायती तेल खरीदने के लिए टेंडर जारी कर रहे हैं। टेंडर ज्यादातर व्यापारियों द्वारा जीती जाती हैं जिनके पास सस्ते रूसी तेल का भंडार होता। क्योंकि रूस से तेल के परिवहन की लागत ने इसे अलाभकारी बना दिया था।
नई दिल्ली, । भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की ओर से खरीदे जाने वाले रूसी तेल के लिए रुपये में भुगतान करने की कोई योजना नहीं है। भारत अपने कुल तेल आयात का एक प्रतिशत से भी कम रूस से खरीदता है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, ‘मौजूदा समय में तेल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का न तो कोई अनुबंध है और न ही रूस या किसी अन्य देश से भारतीय रुपये में कच्चे तेल की खरीद के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन है।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर पश्चिमी प्रतिबंधों से कई देश और कंपनियां रूस से तेल नहीं खरीद रहे। इससे रूसी क्रूड बाजार में भारी छूट पर उपलब्ध हो गया है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए भारतीय रिफाइनर ऐसे रियायती तेल खरीदने के लिए टेंडर जारी कर रहे हैं। टेंडर ज्यादातर व्यापारियों द्वारा जीती जाती हैं, जिनके पास सस्ते रूसी तेल का भंडार होता।
2020 से IOC ने रूस के रोसनेफ्ट से कच्चा तेल खरीदने के लिए एक टर्म या फिक्स्ड वॉल्यूम डील की है। लेकिन, टर्म डील के तहत इसने शायद ही कभी वॉल्यूम का आयात किया हो, क्योंकि रूस से तेल के परिवहन की लागत ने इसे अलाभकारी बना दिया था। शिपिंग और बीमा की व्यवस्था में प्रतिबंधों के कारण होने वाली किसी भी जटिलता से बचने के लिए रिफाइनर वितरित आधार पर रूसी क्रूड खरीद रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि रूस के साथ व्यापार का निपटारा डॉलर में किया जा रहा है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय भुगतान तंत्र को अब तक पश्चिमी प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा ईरान पर उसके विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों के विपरीत, रूस के साथ तेल और ऊर्जा व्यापार पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। इसका मतलब है कि कोई भी देश या कंपनी रूस से तेल और अन्य ऊर्जा वस्तुएं खरीदने और व्यापार को निपटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणालियों का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र थी।