आरबीआइ गवर्नर बोले- बैंक नोट मैन्यूफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बने देश, जानें छपाई में किन स्‍याहियों का होता है इस्‍तेमाल

मुंबई, । रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने निकट भविष्य में बैंक नोट मैन्यूफैक्चरिंग में 100 प्रतिशत आत्मनिर्भरता हासिल करने पर जोर दिया है। वह मैसूर में भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) की स्याही उत्पादन इकाई वर्णिका को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद बोल रहे थे। केंद्रीय बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बीआरबीएनएमपीएल ने बैंक नोटों में सिक्योरिटी फीचर बढ़ाने के लिए 1,500 मीट्रिक टन की वार्षिक स्याही निर्माण क्षमता के एक संयंत्र की स्थापना की है।

देश में हो स्याही का उत्पादन

रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि ना केवल यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा देता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि बैंक नोट प्रिंटिंग में उपयोग की जाने वाली स्याही का उत्पादन देश में ही किया जाए। गवर्नर ने अपने संबोधन में भारत में बैंक नोट मैन्यूफैक्चरिंग का इकोसिस्टम तैयार करने में हुई प्रगति को भी सराहा।

स्विटजरलैंड से आयात की जाती है स्याही

भारत के नोट में इस्तेमाल होने वाली अधिकांश स्याही स्विटजरलैंड की कंपनी एसआइसीपीए से आयात की जाती है। नोट के मुद्रण में इंटैगलियो, फ्लूरोसेंस और आप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल होता है।

…ताकि नकल ना कर सके कोई

आयात होने वाली स्याही के कंपोजिशन में हर बार बदलाव कराया जाता है ताकि कोई और देश नकल नहीं कर सके। चीन और पाकिस्तान से व्यापारिक संबंध रखने वाली कंपनी से स्याही आयात नहीं की जाती है। कंपनी को यह भी घोषित करना पड़ता है कि उनके किसी कर्मचारी ने पाकिस्तान या चीन में काम नहीं किया है।

इन स्‍याहियों का होता है इस्‍तेमाल

इंटैगलियो इंक: इसका इस्तेमाल नोट पर दिखने वाली महात्मा गांधी की तस्वीर छापने में किया जाता है।

फ्लूरोसेंस इंक : नोट के नंबर पैनल की छपाई के लिए इस इंक का उपयोग होता है।

आप्टिकल वेरिएबल इंक: नोट की नकल न हो पाए इसलिए इस इंक का इस्तेमाल होता है।

घरेलू स्याही चार से पांच गुना सस्ती

2015 के अप्रैल महीने में रिजर्व बैंक के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोट छपाई में 100 प्रतिशत घरेलू पेपर और स्याही के इस्तेमाल की बात कही थी। उसके बाद से नोट छापने वाली स्याही के घरेलू उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। घरेलू स्याही की कीमत आयातित स्याही की कीमत के मुकाबले चार से पाचं गुना कम होती है।

जर्मनी, जापान और ब्रिटेन से आयात होता है पेपर

भारत के नोट में लगने वाला अधिकतर पेपर जर्मनी, जापान और ब्रिटेन से आयात किया जाता है। रिजर्व बैंक अधिकारियों के अनुसार 80 प्रतिशत नोट विदेशी कागज पर छपते हैं। सूचना के अधिकार के तहत पता चला है कि पांच रुपये के नोट में 50 पैसे, 10 रुपये के नोट में 0.96 पैसे, 50 रुपये के नोट में 1.81 रुपये और 100 रुपये के नोट में 1.79 रुपये की लागत आती है।

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